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णमोकार महामंत्र in Hindi/Sanskrit

णमोकार मंत्र है न्यारा, इसने लाखों को तारा।
इस महा मंत्र का जाप करो, भव जल से मिले किनारा।

णमो अरिहंताणं,
णमो सिद्धाणं,
णमो आयरियाणं,
णमो उवज्झायाणं,
णमो लोए सव्व साहूणं ।
एसोपंचणमोक्कारो, सव्वपावप्पणासणो ।
मंगला णं च सव्वेसिं, पडमम हवई मंगलं ।

Namokar Maha Mantra in English

Namokar Mantra hai nyara, isne laakhon ko tara.
Is maha mantra ka jaap karo, bhav jal se mile kinara.

Namo Arihantanam,
Namo Siddhanam,
Namo Ayariyanam,
Namo Uvajjhayanam,
Namo Loe Savva Sahunam.
Eso Panch Namokaro, Savva Pava Ppanasano.
Mangalanam cha Savvesim, Padamam Havai Mangalam.

णमोकार महामंत्र PDF Download

णमोकार मंत्र का अर्थ

णमोकार मंत्र जैन धर्म का प्रमुख और पवित्र मंत्र है। इस मंत्र में पांच पंक्तियाँ होती हैं, जो जैन धर्म के पाँच प्रमुख वर्गों को नमन करती हैं। यह मंत्र न केवल आध्यात्मिक शांति और मुक्ति का मार्ग प्रदान करता है, बल्कि इसे जपने से जीव के सभी पाप नष्ट हो जाते हैं। इस मंत्र को ‘पंच परमेष्ठी मंत्र’ भी कहा जाता है क्योंकि यह पंच परमेष्ठियों – अरिहंत, सिद्ध, आचार्य, उपाध्याय, और साधु – को समर्पित है।

णमोकार मंत्र की महत्ता

णमोकार मंत्र की महत्ता को शब्दों में व्यक्त करना कठिन है। इसे जपने से व्यक्ति आत्मिक शुद्धि प्राप्त कर सकता है और संसार के मोह-माया से दूर हो सकता है। जैन धर्म में माना जाता है कि इस मंत्र का जाप करने से सभी प्रकार के पाप और कष्टों का नाश होता है। यह मंत्र एक साधक को भवसागर से मुक्त कर सकता है और उसे मोक्ष की ओर ले जाता है।

मंत्र का प्रत्येक अंश

णमो अरिहंताणं

“अरिहंत” का अर्थ होता है – जिसने शत्रुओं (कर्म) पर विजय प्राप्त कर ली हो। जैन धर्म में अरिहंत वे होते हैं जिन्होंने सम्यक दर्शन, सम्यक ज्ञान और सम्यक चारित्र को प्राप्त कर लिया हो। अरिहंतों के प्रति नमन करने से साधक उनके जैसा बनने की प्रेरणा प्राप्त करता है।

अरिहंत की विशेषताएँ

  • अरिहंतों ने क्रोध, मोह, माया आदि को जीत लिया होता है।
  • वे ज्ञान के प्रतीक होते हैं और उन्हें समस्त लोक में पूज्य माना जाता है।
  • अरिहंत वही होते हैं जो मोक्ष प्राप्ति के मार्ग पर अग्रसर होते हैं।

णमो सिद्धाणं

“सिद्ध” वे आत्माएँ होती हैं जो मोक्ष प्राप्त कर चुकी हैं। सिद्ध अवस्था में कोई कर्म नहीं बचे होते और यह सबसे शुद्ध और सर्वोच्च अवस्था मानी जाती है। सिद्ध आत्माएँ न जन्म लेती हैं और न मरती हैं, वे स्थायी शांति की अवस्था में होती हैं।

सिद्ध आत्माओं का महत्त्व

  • सिद्ध आत्माओं ने संसार के सभी बंधनों से मुक्ति प्राप्त कर ली है।
  • वे इस लोक और परलोक दोनों में पूजनीय होते हैं।
  • सिद्ध आत्माओं का नमन करने से साधक को अपने लक्ष्य की दिशा में सच्ची प्रेरणा मिलती है।

णमो आयरियाणं

“आचार्य” वे होते हैं जो जैन धर्म की शिक्षाओं का पालन और प्रचार करते हैं। आचार्य साधु-साध्वियों के प्रमुख होते हैं और धर्म के नियमों का पालन करते हुए शिष्यों का मार्गदर्शन करते हैं।

आचार्यों की जिम्मेदारियाँ

  • आचार्य धार्मिक नियमों और अनुशासन का पालन करवाते हैं।
  • वे धर्म की शिक्षा को पीढ़ी दर पीढ़ी संचारित करते हैं।
  • उनके प्रति नमन करने से साधक को सही मार्ग पर चलने की प्रेरणा मिलती है।

णमो उवज्झायाणं

“उपाध्याय” वे होते हैं जो साधुओं को ज्ञान की शिक्षा देते हैं। उपाध्याय जैन ग्रंथों के विद्वान होते हैं और उनकी भूमिका शिक्षण में महत्वपूर्ण होती है।

उपाध्याय की भूमिका

  • उपाध्याय धर्मशास्त्रों का ज्ञान प्रदान करते हैं।
  • वे साधुओं को मोक्ष की ओर प्रेरित करने के लिए शिक्षा देते हैं।
  • उपाध्याय का नमन साधक को धार्मिक शिक्षा के महत्व की ओर प्रेरित करता है।

णमो लोए सव्व साहूणं

“साधु” वे होते हैं जो संसार का त्याग करके धर्म का पालन करते हैं। साधु सच्चाई, अहिंसा और तप का पालन करते हैं और वे मोक्ष की ओर अग्रसर होते हैं।

साधुओं की विशेषताएँ

  • साधु त्याग, संयम और तपस्या का प्रतीक होते हैं।
  • वे भौतिक सुखों से मुक्त होकर आत्मिक सुख की खोज करते हैं।
  • साधु का नमन साधक को भी जीवन के भौतिक बंधनों से मुक्त होने की प्रेरणा देता है।

पंच परमेष्ठी का महत्व

पंच परमेष्ठी – अरिहंत, सिद्ध, आचार्य, उपाध्याय, और साधु – जैन धर्म के पांच प्रमुख वर्ग हैं। इन सभी को नमन करने से साधक का जीवन शुद्ध हो जाता है और उसे आत्मिक उन्नति प्राप्त होती है। पंच परमेष्ठी को नमन करने से सभी पापों का नाश होता है और साधक को मोक्ष की दिशा में अग्रसर होने का मार्ग प्राप्त होता है।

मंत्र के प्रभाव

इस मंत्र का नियमित जाप व्यक्ति के जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार करता है। इसे जपने से मनुष्य के कर्म नष्ट हो जाते हैं और उसकी आत्मा शुद्ध हो जाती है। जैन धर्म में इस मंत्र को सर्वाधिक प्रभावशाली और पुण्यदायी माना गया है।

भव जल से मुक्ति

णमोकार मंत्र भवसागर से मुक्ति दिलाने वाला मंत्र है।

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