भजन

नीचे मंदिर बालाजी का ऊपर काली माई – Neeche Mandir Balaji Ka Upar Kali Mai – Hinduism FAQ

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  • – यह भजन मंदिर बालाजी और काली माई के दर्शन और उनके प्रति भक्ति की भावना को दर्शाता है।
  • – भजन में बालाजी के मंदिर के नीचे और काली माई के ऊपर होने का वर्णन है, जो एक अनोखा नजारा प्रस्तुत करता है।
  • – भजन में भैरव बाबा, प्रेतराज और काली माई के दरबार का भी उल्लेख है, जहां भक्तों की भक्ति और उनकी आस्था की महत्ता बताई गई है।
  • – भजन में भक्तों की भक्ति और संकटों से मुक्ति के लिए बजरंग बाला और काली माई की पूजा का महत्व बताया गया है।
  • – यह भजन स्थानीय संस्कृति और धार्मिक आस्थाओं को जीवंत रूप में प्रस्तुत करता है, जिसमें भक्तों की श्रद्धा और भक्ति की गहराई दिखाई देती है।

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नीचे मंदिर बालाजी का,
ऊपर काली माई,
दुर दुर त आ क नजारा,
देखं लोग लुगाई।।



बालाजी के मंदिर आगः,

भुत बबाते पावंगे,
भुतां ऊपर बजरंग बाला,
गदा घुमाते पावंगे,
खींचे तीन लकीर नाक तं,
वचन भराते पावंगे,
भक्ति के पुरे सिर तं,
जा स बला टलाई,
दुर दुर त आ क नजारा,
देखं लोग लुगाई।

निचे मंदिर बालाजी का,
ऊपर काली माई,
दुर दुर त आ क नजारा,
देखं लोग लुगाई।।



आगे सी ने देखा भैरव,

बाबा चौकी आला ऐ,
एक हाथ में चिमटा ले रहा,
एक हाथ में माला ऐ,
लाम्बी लाम्बी लटा बधा रहा,
कांधः काम्बल काला ऐ,
पुरी भक्ति उस बाबा में,
देखा ढंग निराला ऐ,
पढ़ पढ़ क ने उड़द मार दे,
दिन रोग रह ना ढ़ाई,
दुर दुर त आ क नजारा,
देखं लोग लुगाई।

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निचे मंदिर बालाजी का,
ऊपर काली माई,
दुर दुर त आ क नजारा,
देखं लोग लुगाई।।



तीजा द्वारा प्रेतराज का,

मेरे तं मुलाकात हुई,
एक ब त मैं डरी देख क,
फिर खुल क कुछ बात हुई,
दीन दुखी के संकट काटो,
चर्चा सारी रात हुई,
बालाजी क पेश मैं तो,
जोड़े दोनों हाथ हुई,
बजरंग के बिन मेरे मर्ज की,
मिलती नहीं दवाई,
दुर दुर त आ क नजारा,
देखं लोग लुगाई।

निचे मंदिर बालाजी का,
ऊपर काली माई,
दुर दुर त आ क नजारा,
देखं लोग लुगाई।।



चौथी बरीयां चढ़ी पहाड़ प,

काली का दरबार सज्जा,
माँ के चौरासी घंटे बाजं,
फर फर करती लाल धज्जा,
सुमेर भक्त कह माँ काली की,
भक्ति का कुछ अलग मज्जा,
भक्तों के भण्डारे भरती,
पापीयों को देती सज्जा,
बलवान भक्त याद करी जब,
वहां प र आई
दुर दुर त आ क नजारा,
देखं लोग लुगाई।

नीचे मंदिर बालाजी का,
ऊपर काली माई,
दुर दुर त आ क नजारा,
देखं लोग लुगाई।।

गायक – नरेन्द्र कौशिक।
भजन प्रेषक – राकेश कुमार जी,
खरक जाटान(रोहतक)
( 9992976579 )


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