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ओ बाबा थाम ले तू आके मेरी पतवार को उमा लहरी भजन लिरिक्स – O Baba Thaam Le Tu Aake Meri Patvaar Ko Uma Lahari Bhajan Lyrics – Hinduism FAQ

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  • – कविता में एक भक्त अपने बाबा (ईश्वर या गुरु) से अपनी पतवार थामने की विनती करता है, जो उसकी जीवन की दिशा है।
  • – भक्त की आँखें बाबा के दीदार के लिए तरस रही हैं, जो उसकी आत्मा की गहरी इच्छा को दर्शाता है।
  • – परिवार की भलाई और सुख-शांति के लिए बाबा की बड़ी दरकार जताई गई है।
  • – भक्त बाबा की मुरलिया की मधुर धुन सुनने और बगिया के सजने की आशा करता है, जो खुशहाली का प्रतीक है।
  • – बाबा की मेहरबानी से जीवन में मौज और सुख आता है, और भक्त को बाबा के हाथ का सहारा मिलना सबसे बड़ी चिंता का समाधान है।
  • – समग्र रूप से कविता में श्रद्धा, भक्ति और बाबा के प्रति पूर्ण विश्वास की भावना प्रकट होती है।

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ओ बाबा थाम ले तू आके,
मेरी पतवार को,
आँखे तरस गई है,
तेरे दीदार को।।



कई है कई है,

ठिकाने तुम्हारे,
मगर हम तो बैठे है,
तुम्हारे सहारे,
ओ बड़ी दरकार तेरी,
मेरे परिवार को,
आँखे तरस गई है,
तेरे दीदार को।

ओ बाबा, थाम ले तू आके,
मेरी पतवार को,
आँखे तरस गई है,
तेरे दीदार को।।



कभी तो तुम्हारी,

बजेगी मुरलिया,
बड़े भाग होंगे,
सजेगी ये बगिया,
आके देखना ही होगा,
अपने बीमार को,
आँखे तरस गई है,
तेरे दीदार को।

ओ बाबा, थाम ले तू आके,
मेरी पतवार को,
आँखे तरस गई है,
तेरे दीदार को।।



करूँ मौज ‘लहरी’,

ये तेरी मेहर है,
तेरा हाथ सर पे है,
मुझे क्या फ़िक्र है,
ओ पालता तू ही तो,
सारे संसार को,
आँखे तरस गई है,
तेरे दीदार को।

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ओ बाबा थाम ले तू आके,
मेरी पतवार को,
आँखे तरस गई है,
तेरे दीदार को।।


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