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ओ मंगलकारी, चरणों में शत शत प्रणाम: भजन (O Mangalkari Charno Mein Shat Shat Pranam)

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ओ मंगलकारी,
चरणों में शत शत प्रणाम ॥

दोहा – मेहंदीपुर में देखले,
झुकती ये दुनिया सारी,
कटते है उनके संकट,
आते जो नर नारी ॥

महिमा का तेरी,
कैसे करूँ मैं बखान,
ओ मंगलकारी,
चरणों में शत शत प्रणाम,
दुनिया में जिसने ओ बाबा,
तुमको जनम दिया,
दुनिया की उस पूज्य माँ के,
चरणों को प्रणाम,
शक्ति मिली है तुमको,
जिस माँ के दूध से,
उस रतन उस नयन,
उसके तन को प्रणाम,
ओ मँगलकारी,
चरणों में शत शत प्रणाम ॥

मुख में जो सूर्य रखा,
तो प्रकाश गुम हुआ,
हे अंजनी के नंदन,
लो कबुल कर दुआ,
उस सफर उस डगर,
उस समय को प्रणाम,
उस सफर उस डगर,
उस समय को प्रणाम,
पल में अँधेरा टाला,
ब्रम्हांड का तभी,
उस उमर उस नज़र,
और बल को प्रणाम,
ओ मँगलकारी,
चरणों में शत शत प्रणाम ॥

संकट है कटते जहाँ,
मेहंदीपुर वो धाम है,
क्योकि वहां पर भी तेरे,
ह्रदय में राम है,
भागते है भुत बाबा,
एक तेरे नाम से,
सुनते है खुश तू होता,
बस राम नाम से,
होता ‘अजय’ जो तेरी,
भक्ति में खो गया,
धीरज है मिलता उसको,
आता जो धाम है,
मोहन की मुरली जैसी,
मन में समा गई,
ऐसी निराली तेरी,
छवि को प्रणाम,
जन्मो जनम ना होगी,
जन्मो जनम ना होगी,
महिमा तेरी बखान,
ऐसी अलौकिक शक्ति,
अमर को प्रणाम,
ओ मँगलकारी,
चरणों में शत शत प्रणाम ॥

महिमा का तेरी,
कैसे करूँ मैं बखान,
ओ मंगलकारी,
चरणों में शत शत प्रणाम ॥

ओ मंगलकारी, चरणों में शत शत प्रणाम: गहन अर्थ और भावार्थ

यह भजन भगवान हनुमान जी की महिमा और उनके अलौकिक प्रभाव को बड़े ही भावपूर्ण और गहन रूप में प्रस्तुत करता है। प्रत्येक पंक्ति में न केवल भक्ति की गहराई है, बल्कि यह भी दिखाया गया है कि हनुमान जी किस प्रकार अपने भक्तों के लिए संकटमोचन और कल्याणकारी हैं। यह गहन विश्लेषण भजन की हर पंक्ति के पीछे छिपे प्रतीकात्मक और आध्यात्मिक अर्थों को उजागर करेगा।


ओ मंगलकारी, चरणों में शत शत प्रणाम

इस पंक्ति के साथ भजन का आरंभ होता है।

  • “मंगलकारी”: यह विशेषण हनुमान जी की एक प्रमुख विशेषता को इंगित करता है, जो उनके द्वारा किए गए हर कार्य के शुभ और कल्याणकारी होने का प्रतीक है।
  • “चरणों में शत शत प्रणाम”: चरणों में प्रणाम अर्पित करने का अर्थ केवल शारीरिक क्रिया नहीं है, बल्कि यह भक्त की पूर्ण समर्पण और आत्मसमर्पण का प्रतीक है। यह व्यक्ति के अहंकार को त्यागकर दिव्य ऊर्जा के प्रति अपना नमन व्यक्त करने का एक माध्यम है।
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हनुमान जी के चरण, जो उनके भक्तों को जीवन के हर संकट से उबारते हैं, शक्ति और शांति दोनों के स्रोत हैं।


दोहा: मेहंदीपुर में देखले, झुकती ये दुनिया सारी, कटते हैं उनके संकट, आते जो नर नारी

यह दोहा भगवान हनुमान जी के प्रसिद्ध धाम, मेहंदीपुर बालाजी का उल्लेख करता है।

  • “झुकती ये दुनिया सारी”: यह केवल हनुमान जी के प्रति भक्ति का सामान्य उल्लेख नहीं है। यह उस सार्वभौमिक सत्य की ओर इशारा करता है कि सभी धर्म, सभी पंथ, और सभी लोग, किसी न किसी रूप में इस दिव्य शक्ति के प्रति नतमस्तक होते हैं।
  • “कटते हैं उनके संकट”: संकट केवल भौतिक नहीं है, बल्कि मानसिक, भावनात्मक और आध्यात्मिक संकटों से मुक्ति का आश्वासन दिया गया है।

हनुमान जी का मेहंदीपुर धाम वह स्थान है जहाँ भक्त अपने जीवन के सभी दुखों और समस्याओं का समाधान पाते हैं। यह स्थान न केवल भौतिक अस्तित्व का प्रतीक है, बल्कि आत्मा की मुक्ति के लिए एक आध्यात्मिक केंद्र भी है।


महिमा का तेरी, कैसे करूँ मैं बखान

यह पंक्ति विनम्रता और हनुमान जी की महिमा की असीमता का प्रतीक है।

  • “कैसे करूँ मैं बखान”: भक्त स्वयं को भगवान के सामने अत्यंत छोटा मानता है और यह स्वीकार करता है कि वह उनकी महानता को पूर्ण रूप से व्यक्त करने में असमर्थ है।

यहां यह भी कहा जा सकता है कि भक्त यह समझता है कि भगवान की महिमा को शब्दों में बांधना संभव नहीं है। यह विनम्रता, भक्ति का सबसे शुद्ध रूप है, जो ईश्वर और भक्त के बीच का संबंध गहरा करती है।


दुनिया में जिसने ओ बाबा, तुमको जनम दिया

यहाँ भगवान हनुमान की माता अंजना देवी का विशेष उल्लेख है।

  • “दुनिया में जिसने”: यह इस बात को दर्शाता है कि जिस व्यक्ति ने हनुमान जी जैसे दिव्य पुरुष को जन्म दिया, वह संसार का सबसे पूजनीय व्यक्ति है।
  • “तुमको जनम दिया”: यह केवल एक सामान्य जन्म की बात नहीं है। यह उस आध्यात्मिक जिम्मेदारी और प्रेम को दर्शाता है, जो माता अंजना ने भगवान के रूप में अपने पुत्र को जन्म देकर निभाई।

यह हमें याद दिलाता है कि हर महान आत्मा के पीछे एक माँ का त्याग और शक्ति होती है।


दुनिया की उस पूज्य माँ के, चरणों को प्रणाम

यह पंक्ति मातृत्व का आदर करती है।

  • “पूज्य माँ”: यह केवल अंजना देवी को नहीं, बल्कि हर माँ को सम्मान देता है, जो अपने बच्चों में आत्मा की शक्ति को विकसित करती है।
  • “चरणों को प्रणाम”: यह आदर केवल भावनात्मक नहीं है, बल्कि एक आध्यात्मिक क्रिया भी है। माँ के चरण, जो त्याग और प्रेम का प्रतीक हैं, उन्हें प्रणाम करने से भक्त अपनी आत्मा को शुद्ध करता है।

शक्ति मिली है तुमको, जिस माँ के दूध से

यह पंक्ति हनुमान जी की शक्ति का स्रोत उनके मातृत्व और पालन-पोषण को दर्शाती है।

  • “माँ के दूध से”: यह केवल शारीरिक पोषण का प्रतीक नहीं है। यह उस आध्यात्मिक ऊर्जा को भी दर्शाता है, जो माँ अपने बच्चों को संस्कार और ज्ञान के रूप में देती है।
  • “शक्ति मिली है”: हनुमान जी की अद्भुत शक्ति और पराक्रम का एक हिस्सा उनकी माता से ही प्राप्त है।
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यह पंक्ति हमें यह सिखाती है कि माता-पिता का सम्मान करना हमारी आध्यात्मिक उन्नति का एक प्रमुख पहलू है।


मुख में जो सूर्य रखा, तो प्रकाश गुम हुआ

यह हनुमान जी की बाल लीलाओं का एक प्रसिद्ध प्रसंग है।

  • “मुख में जो सूर्य रखा”: यह घटना हनुमान जी की अलौकिक शक्ति और उनके अद्वितीय साहस का प्रतीक है। उन्होंने सूर्य को एक फल समझकर अपने मुख में रख लिया।
  • “प्रकाश गुम हुआ”: इसका प्रतीकात्मक अर्थ यह है कि जब हनुमान जी ने सूर्य को अपने मुख में रखा, तो यह साबित हो गया कि वह ब्रह्मांड के नियमों से परे हैं।

यह घटना यह भी दर्शाती है कि वह ब्रह्मांड की सभी शक्तियों को अपने वश में करने की क्षमता रखते हैं।


हे अंजनी के नंदन, लो कबुल कर दुआ

यहाँ भक्त हनुमान जी को उनकी माता के नाम से संबोधित करता है।

  • “अंजनी के नंदन”: यह संबोधन हनुमान जी की जड़ और उनके दिव्य जन्म की याद दिलाता है।
  • “लो कबुल कर दुआ”: यह एक विनम्र निवेदन है। भक्त अपने जीवन के संकटों का समाधान पाने के लिए भगवान से प्रार्थना करता है।

यह पंक्ति हमें सिखाती है कि सच्चे मन से की गई प्रार्थना हमेशा सुनी जाती है।


संकट है कटते जहाँ, मेहंदीपुर वो धाम है

यह पंक्ति हनुमान जी के मेहंदीपुर बालाजी धाम की विशेषता और उसकी दिव्यता पर केंद्रित है।

  • “संकट है कटते जहाँ”: यह सीधा संदर्भ है कि मेहंदीपुर बालाजी वह स्थान है जहाँ भक्तों के सभी प्रकार के संकट समाप्त हो जाते हैं। यह संकट शारीरिक, मानसिक, सामाजिक, या आध्यात्मिक हो सकते हैं।
  • “मेहंदीपुर वो धाम है”: यह पंक्ति इस धाम की महिमा को दर्शाती है। यह न केवल एक धार्मिक स्थल है, बल्कि आस्था और दिव्य ऊर्जा का स्रोत भी है।

मेहंदीपुर बालाजी की यह प्रसिद्धि और श्रद्धा इस तथ्य पर आधारित है कि यह स्थान अनगिनत भक्तों के लिए आशा और समाधान का केंद्र रहा है।


क्योकि वहाँ पर भी तेरे, ह्रदय में राम है

यह पंक्ति भगवान हनुमान जी के भीतर मौजूद भगवान राम की छवि और उनकी निष्ठा को उजागर करती है।

  • “तेरे ह्रदय में राम है”: यह हनुमान जी की शक्ति का मूल है। उनकी हर शक्ति और चमत्कार का आधार भगवान राम के प्रति उनकी अटूट भक्ति है।
  • यह पंक्ति यह भी सिखाती है कि जब हमारा मन और हृदय दिव्य भावों से भरा होता है, तो हमारे जीवन की हर बाधा अपने आप समाप्त हो जाती है।

हनुमान जी का राम के प्रति यह समर्पण हमें भक्ति और सेवा का सर्वोच्च उदाहरण देता है।


भागते हैं भूत बाबा, एक तेरे नाम से

यह पंक्ति भगवान हनुमान जी के नाम के प्रभाव और उसकी शक्ति को व्यक्त करती है।

  • “भागते हैं भूत”: यह न केवल बुरी आत्माओं के बारे में है, बल्कि उन सभी नकारात्मक और अशुभ शक्तियों के बारे में है जो भक्त के जीवन में बाधा डालती हैं।
  • “तेरे नाम से”: केवल हनुमान जी का नाम लेने भर से ही इन सभी नकारात्मक शक्तियों का नाश हो जाता है।

यह दर्शाता है कि हनुमान जी का नाम सच्चे भक्तों के लिए सुरक्षा कवच के समान है, जो हर प्रकार के बुरे प्रभाव से उनकी रक्षा करता है।


सुनते हैं खुश तू होता, बस राम नाम से

यह पंक्ति भगवान हनुमान जी की भक्ति और उनके आनंद का केंद्र बिंदु है।

  • “बस राम नाम से”: हनुमान जी का सबसे बड़ा सुख और आनंद भगवान राम के नाम का उच्चारण है। यह उनकी पूर्ण निष्ठा और भक्ति का प्रतीक है।
  • यह सिखाता है कि सच्ची भक्ति में भौतिक सुख की अपेक्षा नहीं होती। भक्ति का सबसे बड़ा इनाम ईश्वर का नाम है।
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हनुमान जी का यह गुण भक्तों को उनके आदर्शों का पालन करने की प्रेरणा देता है।


मोहन की मुरली जैसी, मन में समा गई

यह पंक्ति भगवान हनुमान जी की छवि और भक्ति के प्रभाव को कृष्ण की मुरली जैसी मोहक और दिव्य बताया गया है।

  • “मोहन की मुरली जैसी”: यह तुलना इस बात का प्रतीक है कि जिस प्रकार भगवान कृष्ण की बांसुरी का मधुर संगीत सभी को आकर्षित करता है, उसी प्रकार हनुमान जी की छवि और उनका चरित्र भक्तों के मन में स्थायी स्थान बना लेता है।
  • “मन में समा गई”: यह दर्शाता है कि उनकी भक्ति और महिमा एक बार दिल में बस जाए, तो वह जीवन भर के लिए अमिट हो जाती है।

यह पंक्ति हनुमान जी के प्रति उस गहरे आध्यात्मिक लगाव को दर्शाती है, जो भक्तों के जीवन को बदल देता है।


ऐसी निराली तेरी, छवि को प्रणाम

यह पंक्ति हनुमान जी की अद्वितीयता और उनकी अलौकिक छवि का वर्णन करती है।

  • “निराली तेरी छवि”: यह हनुमान जी के दिव्य रूप और उनकी शक्ति का प्रतीक है। उनकी छवि केवल भौतिक स्वरूप तक सीमित नहीं है, बल्कि उनकी करुणा, भक्ति, और सेवा की भावना भी इसमें समाहित है।
  • “छवि को प्रणाम”: यह भक्ति का वह रूप है जिसमें भक्त अपने आराध्य के हर पहलू को नमन करता है।

यह पंक्ति हमें सिखाती है कि जब हम अपने आराध्य की महानता को पहचानते हैं, तो हर क्षण उनके प्रति कृतज्ञता और सम्मान प्रकट करना चाहिए।


जन्मों जन्म न होगी, महिमा तेरी बखान

यह पंक्ति भगवान हनुमान जी की महिमा की असीमता का वर्णन करती है।

  • “जन्मों जन्म न होगी”: इसका अर्थ है कि चाहे हम अनगिनत जीवन ले लें, फिर भी उनकी महिमा का पूर्ण वर्णन संभव नहीं है।
  • “महिमा तेरी बखान”: यह उनकी शक्ति, सेवा, और भक्ति की अनंतता का प्रतीक है।

यह पंक्ति हमें यह समझने की प्रेरणा देती है कि भगवान की महिमा को पूरी तरह समझना या व्यक्त करना संभव नहीं है। यह केवल अनुभव और भक्ति से जाना जा सकता है।


ऐसी अलौकिक शक्ति, अमर को प्रणाम

यह पंक्ति हनुमान जी की अद्भुत और दिव्य शक्ति को सम्मानित करती है।

  • “अलौकिक शक्ति”: यह शक्ति भौतिक सीमाओं से परे है। यह वह शक्ति है जो असंभव को संभव बना सकती है।
  • “अमर को प्रणाम”: हनुमान जी को अमर कहा गया है क्योंकि वह काल और मृत्यु से परे हैं।

यह हमें प्रेरित करती है कि यदि हमारी भक्ति सच्ची और अडिग हो, तो हम भी इस प्रकार की शक्ति और स्थायित्व को प्राप्त कर सकते हैं।


भजन का हर भाग हनुमान जी की भक्ति, शक्ति, और करुणा को गहराई से समझने और महसूस करने का एक माध्यम है। यह न केवल भक्ति के मार्ग पर चलने का संदेश देता है, बल्कि जीवन के हर पहलू में ईश्वर के प्रति समर्पण की महत्ता को भी रेखांकित करता है।

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