- – यह कविता प्रेम और समर्पण की भावनाओं को व्यक्त करती है, जिसमें जीवन को प्रेमी के साथ जोड़ने की इच्छा है।
- – कवि अपने दिल के चैन और खुशियों का स्रोत अपने प्रेमी को मानता है और उसकी सेवा में खुद को समर्पित करना चाहता है।
- – कविता में प्रेम के साथ-साथ सभी के प्रति प्रेम और सद्भाव बनाए रखने की भी बात की गई है।
- – जीवन के हर सुख-दुख में प्रेमी के साथ रहने और उसकी याद में जीने की भावना प्रकट की गई है।
- – अंत में कवि अपने प्रेमी से जीवन को इस तरह सजाने की प्रार्थना करता है कि प्रेम और सेवा ही जीवन की सबसे बड़ी सजा बने।

ओ मेरे सांवरे मेरी जिंदगी को,
ऐसे सज़ा दीजिए।।
तर्ज – ओ मेरे दिल के चैन।
आप की महफ़िल आपके गीत,
आप का ही श्रृंगार करूँ,
जब तक नैनो के दिप जले,
आप का ही दीदार करूँ,
तेरा हो के रहूं जब तक मैं जियूँ,
मुझे सेवा में अपनी लगा लीजिए,
ओ मेरे साँवरे मेरी जिंदगी को,
ऐसे सज़ा दीजिए।।
ना ही किसी से बैर रहे,
ना ही किसी से तक़रार करूँ,
लब पे सदा मुस्कान रहे,
हर दिल से मैं प्यार करूँ,
तेरा हो के रहूं जब तक मैं जियूँ,
प्रभु मुझको भी प्रेम सीखा दीजिए,
ओ मेरे साँवरे मेरी जिंदगी को,
ऐसे सज़ा दीजिए।।
चाहे खुशी हो चाहे हो गम,
हरपल तू मेरे पास रहे,
तेरा ही सुमिरन करता रहूं,
जब तक सांस में साँस रहे,
मर भी जाऊँ अगर छूटे ना तेरा दर,
‘सोनू’ कहे चरणों में जगह दीजिए,
ओ मेरे साँवरे मेरी जिंदगी को,
ऐसे सज़ा दीजिए।।
ओ मेरे सांवरे मेरी जिंदगी को,
ऐसे सज़ा दीजिए।।
स्वर – रवि बेरीवाल जी।
