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- – यह कविता प्रेम और समर्पण की भावना को व्यक्त करती है, जिसमें प्रियतम को जीवन का अभिन्न हिस्सा बताया गया है।
- – कवि अपने साथी को जीवन की पहचान और खुशियों का स्रोत मानता है।
- – हर कदम पर साथी के प्रति आभार और प्रेम की गहराई को दर्शाया गया है।
- – कविता में प्रेम के नाते को जन्म-जन्मांतर तक टिकाऊ रखने की कामना की गई है।
- – यह रचना साथी के बिना जीवन अधूरा और निरर्थक होने की भावना को उजागर करती है।

ओ मेरे सांवरे तू मिला है मुझे,
तू नही तो कुछ नही है,
मेरी ज़िन्दगी।।
तर्ज – ओ मेरे हमसफर।
हर पल सांसो में तू हैं,
तुझसे मेरी पहचान,
तूने ही तो कदम कदम पे,
मुझपे किया अहसान,
तुझपे वार दूँ मैं,
मेरी ज़िन्दगी,
ओ मेरे साँवरे तू मिला है मुझे,
तू नही तो कुछ नही है,
मेरी ज़िन्दगी।।
दुनिया की सारी खुशियाँ तो,
तेरे चरणों में मिले,
तेरी रहमत के हुए है,
जबसे शुरू सिलसिले,
तेरी वजह से है हसी,
मेरी ज़िन्दगी,
ओ मेरे साँवरे तू मिला है मुझे,
तू नही तो कुछ नही है,
मेरी ज़िन्दगी।।
अपना ये प्रेम का नाता,
जनम जनम नहीं टूटे,
विनती करे ‘चोखानी’,
हमसे कभी ना तू रूठे,
तेरी बंदगी में है,
मेरी ज़िन्दगी,
ओ मेरे साँवरे तू मिला है मुझे,
तू नही तो कुछ नही है,
मेरी ज़िन्दगी।।
ओ मेरे सांवरे तू मिला है मुझे,
तू नही तो कुछ नही है,
मेरी ज़िन्दगी।।
अस्वीकरण (Disclaimer) : नुस्खे, योग, धर्म, ज्योतिष आदि विषयों पर HinduismFAQ में प्रकाशित/प्रसारित वीडियो, आलेख एवं समाचार सिर्फ आपकी जानकारी के लिए हैं। 'HinduismFAQ' इसकी कोई ज़िम्मेदारी नहीं लेती है।
