- – गीत में भक्त अपने सांवरे (खाटू श्याम बाबा) के प्रति गहरा प्रेम और भक्ति व्यक्त कर रहा है।
- – भक्त कहता है कि चाहे दुनिया नाराज हो जाए, उसका खाटू से लगाव कभी नहीं टूटेगा।
- – मस्ती और प्रेम की भावना में रंगे हुए, भक्त अपने सांवरे के रंग में पूरी तरह डूबा हुआ है।
- – रिश्तों को तोड़कर भी वह अपने खाटू के प्रति अपनी भक्ति नहीं छोड़ना चाहता।
- – ग्यारस के दिन खाटू बाबा के दर्शन करने की तीव्र इच्छा और उनसे जुड़ा रिश्ता कभी टूटने वाला नहीं है।
- – भक्त अपने जीवन को खाटू के चरणों में समर्पित करता है और चाहता है कि बाबा उससे कभी नाराज न हों।

ओ साँवरे तेरा खाटू ना छूटे रे,
परवाह नही है चाहे,
परवाह नही है चाहे,
जग सारा रूठे रे,
ओ साँवरे तेरा खाटू ना छूटे रे।।
मस्ती में हो मस्तानी,
हो गई मलंग मैं,
रंग गई अपने सांवरे के रंग में,
प्यार की ये पावन डोरी,
प्यार की ये पावन डोरी,
कभी ना ही टूटे रे
ओ साँवरे तेरा खाटू ना छूटे रे।।
जितने हैं रिश्ते नाते,
सारे ही मैं तोड़ा दूँ,
तुम ही बताओ कैसे,
खाटू आना छोड़ दूँ,
खाटू ना छुड़वाना तू,
खाटू ना छुड़वाना तू,
साँसें चाहे छूटे रे,
ओ साँवरे तेरा खाटू ना छूटे रे।।
ग्यारस तेरी बाबा,
खाटू मैं जो आऊं,
जी करता है फिर,
लौट के ना जाऊं,
रिश्ता बना है जो ये,
रिश्ता बना है जो,
कभी ना ही टूटे रे,
ओ साँवरे तेरा खाटू ना छूटे रे।।
अब तो यहीं पे जीना,
और है मरना,
चरणों से तेरे बाबा,
दूर नही करना,
इतना ही चाहे ‘योगी’,
इतना ही चाहे ‘योगी’,
तू ना कभी रूठे रे,
ओ साँवरे तेरा खाटू ना छूटे रे।।
ओ साँवरे तेरा खाटू ना छूटे रे,
परवाह नही है चाहे,
परवाह नही है चाहे,
जग सारा रूठे रे,
ओ साँवरे तेरा खाटू ना छूटे रे।।
स्वर – नम्रता जी कारवा।
