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ओ श्याम जी पड़ा रहने दे अपनी शरण में भजन लिरिक्स – O Shyam Ji Pada Rehne De Apni Sharan Mein Bhajan Lyrics – Hinduism FAQ

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  • – यह गीत श्याम जी (भगवान कृष्ण) की शरण में रहने की भावना को व्यक्त करता है, जहां व्यक्ति अपनी उलझनों और दुखों से मुक्ति चाहता है।
  • – दुनिया को एक पहेली के रूप में दर्शाया गया है, जो कभी दोस्त और कभी दुश्मन बन जाती है, जिससे व्यक्ति उलझन में पड़ जाता है।
  • – गीत में आंसुओं और दर्द को स्वीकार करते हुए, शरण में रहने से ही सुकून और राहत मिलने की उम्मीद जताई गई है।
  • – श्याम जी के नाम को जीवन की सच्ची पूंजी और उलझनों की कुंजी माना गया है, जो हर दुख और संकट को सहने की ताकत देता है।
  • – बार-बार “पड़ा रहने दे अपनी शरण में” का दोहराव यह दर्शाता है कि व्यक्ति अपनी समस्याओं के बीच भी ईश्वर की शरण में रहना चाहता है।

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ओ श्याम जी पड़ा रहने दे,
अपनी शरण में,
पड़ा रहने दे,
अपनी शरण में,
पड़ा रहने दे,
जहाँ जाऊँ भरमाऊँ,
कहीं चैन ना पाऊँ,
कुछ दिल की भी कहने दे,
पड़ा रहने दे,
अपनी शरण में,
पड़ा रहने दे।।

तर्ज – ओ राम जी बड़ा दुःख दीना।



ये दुनिया है एक पहेली,

ये दुनिया है एक पहेली,
पल में बैरन पल में सहेली,
मै तो चाहु सुलझाऊँ,
खुद उलझ ही जाऊं,
उलझन से परे रहने दे,
पड़ा रहने दे,
अपनी शरण में,
पड़ा रहने दे।

ओ श्याम जी पड़ा रहने दें,
अपनी शरण में,
पड़ा रहने दे।।



दुनिया के आगे रोया ही रोया,

दुनिया के आगे रोया ही रोया,
कुछ नहीं पाया खोया ही खोया,
मेरे आंसू की कदर तब होगी अगर,
इन चरणों में बहने दे,
पड़ा रहने दे,
अपनी शरण में,
पड़ा रहने दे।

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ओ श्याम जी पड़ा रहने दें,
अपनी शरण में,
पड़ा रहने दे।।



द्वार तेरा उलझन की कुंजी,

द्वार तेरा उलझन की कुंजी,
नाम तेरा बस साची पूंजी,
चाहे जितने हो गम,
ढाए दुनिया सितम,
मुझे हस हस कर सहने दे,
पड़ा रहने दे,
अपनी शरण में,
पड़ा रहने दे।

ओ श्याम जी पड़ा रहने दें,
अपनी शरण में,
पड़ा रहने दे।।



ओ श्याम जी पड़ा रहने दे,

अपनी शरण में,
पड़ा रहने दे,
अपनी शरण में,
पड़ा रहने दे,
जहाँ जाऊँ भरमाऊँ,
कहीं चैन ना पाऊँ,
कुछ दिल की भी कहने दे,
पड़ा रहने दे,
अपनी शरण में,
पड़ा रहने दे।।


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