- – यह भजन भगवान शिव की महिमा और उनके भक्तों की भक्ति को समर्पित है, जिसमें “ॐ नमः शिवाय” का जाप करने का महत्व बताया गया है।
- – मल्लिकार्जुन और ज्योतिर्लिंग के संदर्भ में शिवजी की शरण और उनके दर्शन से भवसागर (जन्म-मरण के चक्र) से मुक्ति मिलने की बात कही गई है।
- – पार्वती माता को मल्लिका कहा गया है और शिवजी के कार्तिकेय से रूठने के बाद उनके पर्वत शैल छोड़ने की कथा का उल्लेख है।
- – भजन में शिवजी की महिमा का गुणगान करते हुए बताया गया है कि उनके दर्शन से भक्तों के मन की इच्छाएं पूरी होती हैं और जीवन में सुख-शांति आती है।
- – तृष्णा जल से शिवजी के अभिषेक और चंद्रावत राजा द्वारा फूलों से शिवजी की पूजा करने का वर्णन है, जो उनकी दिव्यता को दर्शाता है।

ॐ नमः शिवाय बोलो ॐ नमः शिवाय,
ॐ नमः शिवाय बोलो ॐ नमः शिवाय,
ओ भक्ता रे,
मल्लिकार्जुन जो जाये भवसागर तर जाये,
ॐ नमः शिवाय बोलो ॐ नमः शिवाय।।
पार्वती माता यहाँ मल्लिका कहावे,
शिव अर्जुन भोले नाम धरावे,
जब से तुम कार्तिकेय रूठ गए,
पर्वत शैल छोड़ कहाँ चले गए,
ओ बंधू रे,
शिवजी उनको यहाँ पे ढूंढने आये,
ॐ नमः शिवाय बोलो ॐ नमः शिवाय।।
सारा जग तेरी शरण में आये,
ज्योतिर्लिंग को शीश नवावे,
मन की मुरादे शिव पूरी करे,
भक्त जनो की झोली भोले भरे,
ओ बंधू रे,
दर्शन से इनके सोया भाग जग जाए,
ॐ नमः शिवाय बोलो ॐ नमः शिवाय।।
तृष्णा का पानी तेरे पाँव पखारे,
कल कल क्र तेरे गुणगान गाये,
मस्तक पर तृष्णा जल गिरता रहे,
तृष्णा माँ शिव का अभिषेक करे,
ओ बंधू रे,
चंद्रावत राजा तुमको फूलो से सजाये,
ॐ नमः शिवाय बोलो ॐ नमः शिवाय।।
ॐ नमः शिवाय बोलो ॐ नमः शिवाय,
ॐ नमः शिवाय बोलो ॐ नमः शिवाय,
ओ भक्ता रे,
मल्लिकार्जुन जो जाये भवसागर तर जाये,
ॐ नमः शिवाय बोलो ॐ नमः शिवाय।।
