- – यह गीत भगवान गणेश जी की आराधना और भक्ति में लिखा गया है, जिसमें उन्हें मनाने और प्रसन्न करने की बात कही गई है।
- – भक्त चरणों में सिर झुकाकर, फूल, मेवा, लड्डू आदि चढ़ाकर भगवान की पूजा करता है।
- – माता पार्वती और पिता शिव का भी उल्लेख है, जो भगवान गणेश के माता-पिता हैं।
- – हर बुधवार को विशेष पूजा और ध्यान करने का संकल्प लिया गया है ताकि बिगड़े कार्य सुधर सकें।
- – गीत में भक्त की विनम्रता और भगवान से सहायता की प्रार्थना स्पष्ट रूप से व्यक्त हुई है।
पहले तुम्हे मनाये,
चरणों में सर झुकाये,
गिरिजा के लाल आओ,
बिगड़ी मेरी बनाओ।।
तर्ज – दिल में तुम्हे बिठा के।
हार चढ़ाऊँ देवा,
फूल चढ़ाऊँ,
और चढ़ाऊँ मेवा,
लड्डुवन का तोहे,
भोग लगाऊँ,
संत करे तेरी सेवा।
पहले तुम्हें मनाये,
चरणों में सर झुकाये,
गिरिजा के लाल आओ,
बिगड़ी मेरी बनाओ।।
माता तुम्हारी देवा,
पार्वती कहिये,
पिता है शंकर देवा,
रिद्धि सिद्धि संग में आओ,
आओ गजानन आओ।
पहले तुम्हें मनाये,
चरणों में सर झुकाये,
गिरिजा के लाल आओ,
बिगड़ी मेरी बनाओ।।
हर बुधवार देवा,
पूजा तुम्हारी,
नित हम ध्यान लगाए,
प्रथम तुम्हारा,
ध्यान करे हम,
बिगड़े काज सवारों।
पहले तुम्हे मनाये,
चरणों में सर झुकाये,
गिरिजा के लाल आओ,
बिगड़ी मेरी बनाओ।।