- – जीवन क्षणभंगुर है और पल-पल जल्दी बीत जाता है, इसलिए इसे व्यर्थ बातों में न गंवाएं।
- – सुंदर शरीर और जीवन की प्राप्ति बड़ी भाग्यशाली है, लेकिन इसकी सही कीमत समझना आवश्यक है।
- – सतगुरु और प्रभु के नाम का स्मरण करना जीवन को सार्थक बनाता है।
- – अहंकार और अभिमान छोड़कर अपना जीवन सतगुरु के हाथों में सौंपना चाहिए।
- – वर्तमान क्षण का सदुपयोग करना और आध्यात्मिक मार्ग पर चलना जीवन का उद्देश्य होना चाहिए।
पल पल में यह जीवन जाए हाय,
बृथा की बातो में,
इस पल को काहे तू खोए,
बृथा की बातो में।।
तर्ज – रिमझिम के गीत सावन गाए।
बड़ी सुन्दर, है ये काया,
बड़ भागी है जो तू ये पाया,
पर तू ने कीमत न जानी,
न जानी, बृथा की बातो में,
पल पल मे यह जीवन जाए हाय,
बृथा की बातो में।।
आजा प्यारे, गुरू द्वारे,
नही लागे तेरा कुछ दाम रे,
भजले नाम तू सतगुरू का,
प्रभू का, स्वाँसो ही स्वाँसो मे,
पल पल मे यह जीवन जाए हाय,
बृथा की बातो में।।
तजदे मान रे,ओ नादान रे,
किस पर तु करे अभिमान रे,
सोँपदे तू अपना जीवन,
जीवन,सतगुरू जी के हाथो में,
पल पल मे यह जीवन जाए हाय,
बृथा की बातो में।।
पल पल में यह जीवन जाए हाय,
बृथा की बातो में,
इस पल को काहे तू खोए,
बृथा की बातो में।।
– भजन लेखक एवं प्रेषक –
श्री शिवनारायण वर्मा,
मोबा.न.8818932923
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