- – यह कविता प्रेम और चाहत की गहराई को दर्शाती है, जहाँ प्रेमी अपने प्रेमी की एक झलक पाने की इच्छा व्यक्त करता है।
- – कवि परदे के पीछे छुपी हुई प्रियतम की मुस्कुराहट को देखकर अपनी बेचैनी और दीवानगी जाहिर करता है।
- – प्रेमी चाहता है कि प्रियतम भी कुछ कदम बढ़ाकर अपने प्यार का इजहार करे और परदा हटाकर सामने आए।
- – कविता में प्रेम की प्यास और इंतजार की भावना को खूबसूरती से व्यक्त किया गया है।
- – अंत में, कवि अपने प्रेम को पूरी तरह समर्पित करता है और अपने दिल की आरजू पूरी करने की बात करता है।

परदे में बैठे बैठे,
यूँ ना मुस्कुराइये,
आ गए तेरे दीवाने,
जरा परदा हटाइए।।
परदा तेरा हमे नही,
मंजूर सांवरे,
बैठा है छुप के दीवानो से,
क्यों दूर सांवरे,
मैं भी तो आया दो कदम,
ज़रा तुम भी बढ़ाइए,
आ गए तेरे दीवाने,
जरा परदा हटाइए।।
हम चाहने वाले हैं तेरे,
हमे है तुमसे मोहब्बत,
कर दो करम ज़रा दिखा दो,
अब सांवरी सूरत,
प्यासी निगाहे दीद की,
जरा नजरे मिलाइए,
आ गए तेरे दीवाने,
जरा परदा हटाइए।।
तेरी इक झलक को प्यारे,
मेरा अब दिल बेकरार है,
दीदार की तमन्ना मुझे अब,
तेरा इंतजार है,
रह रह के हमे इस तरह,
यूँ न सताइए,
आ गए तेरे दीवाने,
जरा परदा हटाइए।।
तू ही जिंदगी है बंदगी,
तू ही आरजू हमारी,
अरमान मेरे दिल का करो,
पूरा बांके बिहारी
‘चित्र विचत्र’ को अपने प्रेम का,
पागल बनाइये ,
आ गए तेरे दीवाने,
जरा परदा हटाइए।।
परदे में बैठे बैठे,
यूँ ना मुस्कुराइये,
आ गए तेरे दीवाने,
जरा परदा हटाइए।।
