- – यह भक्ति गीत भगवान गणेश की स्तुति में लिखा गया है, जिसमें उन्हें पार्वती के लाल और विघ्नहर्ता के रूप में पूजा गया है।
- – गीत में भगवान गणेश से ज्ञान, सुख, समृद्धि और विघ्नों को दूर करने की प्रार्थना की गई है।
- – पार्वती, शिव, हनुमान और रघुवर जैसे देवताओं का भी उल्लेख है, जो भक्त के कष्टों को दूर करने में सहायक माने गए हैं।
- – गीत में तीर्थ स्थलों और सतगुरु की महत्ता का वर्णन है, जो जीवन में मार्गदर्शन प्रदान करते हैं।
- – यह भजन श्रद्धा और भक्ति के माध्यम से भगवान से आशीर्वाद प्राप्त करने की भावना को दर्शाता है।
- – “श्रवण सिंह राजपुरोहित” द्वारा प्रस्तुत यह भजन भक्तों के लिए आध्यात्मिक प्रेरणा का स्रोत है।
पार्वती के तुम हो लाला,
में जप्ता हुँ तेरी माला।।
श्लोक – पारवती के लाल कोमल कर,
मोदक वसे तो मंगल रूप विसार,
सरस्वती शिमरू शारदा,
धरु गुणपत को ध्यान,
घट का ताला खोल दो,
मैं हूँ मुर्ख अंजान।
पार्वती के तुम हो लाला,
में जप्ता हुँ तेरी माला,
खोल मेरे हिर्दय का ताला,
ग्यान बतावा आयके,
मेरा गुण से पेट भरो रे,
गणनायक विघ्नं हरो रे,
सुख सम्पत दीजो आयके,
गणनायक विघ्नं हरो रे,
सुंडाला मेहर करो रे।।
मात गवरजा सियासती को,
में शिमरू कैलाश पति को,
बलवंता हनुमान जती को,
लायो सजीवन जायके,
रघुवर काज हरो रे,
गणनायक विघ्नं हरो रे,
सुख सम्पत दीजो आयके,
गणनायक विघ्नं हरो रे,
सुंडाला मेहर करो रे।।
रिद्धि शिद्धि सेज सकल घनकारा,
अड़सठ तीर्थ गंगा नित धारा,
पुष्कर तीर्थ राज से प्यारा,
नया डूबे मजधार में,
सतगुरु जी पार करो रे,
गणनायक विघ्नं हरो रे,
सुख सम्पत दीजो आयके,
गणनायक विघ्नं हरो रे,
सुंडाला मेहर करो रे।।
मात पिता गुरुदेव पिसाई,
जन्म दियो जन ग्यान बताये,
‘धनसुख’ लाल शरण तेरी आये,
गणनायक विघ्नं हरो रे,
सुख सम्पत दीजो आयके,
गणनायक विघ्नं हरो रे,
सुंडाला मेहर करो रे।।
पार्वती के तुम हो लाला,
में जप्ता हुँ तेरी माला,
खोल मेरे हिर्दय का ताला,
ग्यान बतावा आयके,
मेरा गुण से पेट भरो रे,
गणनायक विघ्नं हरो रे,
सुख सम्पत दीजो आयके,
गणनायक विघ्नं हरो रे,
सुंडाला मेहर करो रे।।
“श्रवण सिंह राजपुरोहित द्वारा प्रेषित”
सम्पर्क : +91 9096558244
वीडियो अभी उपलब्ध नहीं।
