- – गीत में फागुण के महीने में भगवान के नाम की मस्ती और भक्तों की खुशियों का वर्णन किया गया है।
- – भक्तों की झोली खुशियों से भर जाती है और चारों दिशाओं में भगवान का गुणगान सुनाई देता है।
- – रंग-बिरंगे गुब्बारे, गुलाल और धमाल के साथ उत्सव का माहौल प्रस्तुत किया गया है।
- – भक्त भगवान की छवि को अपनी आंखों में संजोते हैं और उनके दर्शन के लिए उत्सुक रहते हैं।
- – पूरे संसार में झूमते हुए भक्त भगवान के द्वार पर खड़े होकर उनकी भक्ति में लीन होते हैं।
- – गीत में भगवान के सांवरे रूप की महिमा और भक्तों की आस्था की भावना को सुंदरता से व्यक्त किया गया है।

फागुण में तेरे नाम की मस्ती छाई है,
भक्तो की झोली में खुशियाँ आई है,
छाई है सांवरे, छाई है सांवरे,
खुशियाँ छाई है,
फागण में तेरे नाम की मस्ती छाई है,
भक्तो की झोली में खुशियाँ आई है।।
चंग है बजते है कही पे बाबा,
कही बजे धमाल,
रंग भरे गुब्बारे उड़ते,
कही पे उड़े गुलाल,
दुनिया ये तेरे रंग,
दुनिया ये तेरे रंग,
में समाई है,
फागण में तेरे नाम की मस्ती छाई है,
भक्तो की झोली में खुशियाँ आई है।।
चारो दिशाओ में सुनते है,
बस तेरा गुणगान,
भक्तो का दीखता है टोला,
हाथ में लेके निशान,
आँखों में वो छवि,
आँखों में वो छवि,
समाई है,
फागण में तेरे नाम की मस्ती छाई है,
भक्तो की झोली में खुशियाँ आई है।।
ऐसी मस्ती छाई है देखो,
झूम रहा संसार,
दर्श तुम्हारे पाने खातिर,
भक्त खड़े तेरे द्वार,
भक्तो के साथ में,
भक्तो के साथ में,
‘कमला’ आई है,
फागण में तेरे नाम की मस्ती छाई है,
भक्तो की झोली में खुशियाँ आई है।।
फागुण में तेरे नाम की मस्ती छाई है,
भक्तो की झोली में खुशियाँ आई है,
छाई है सांवरे, छाई है सांवरे,
खुशियाँ छाई है,
फागण में तेरे नाम की मस्ती छाई है,
भक्तो की झोली में खुशियाँ आई है।।
Singer – Dharnidhar Dadhich
