- – सावन के मौसम में भोले शंकर की भक्ति और कांवड़ यात्रा का महत्व दर्शाया गया है।
- – गंगा जल लेकर शिव के दरबार में जाने और “बम बम” का जाप करने का आह्वान किया गया है।
- – भोले शंकर की भक्ति से जीवन में सुख, समृद्धि और मनोकामनाएं पूरी होती हैं।
- – कांवड़ यात्रा को श्रद्धा और प्रेम से करने वाले कभी खाली हाथ नहीं लौटते।
- – शिव को दाता और त्रिपुरारी के रूप में पूजा जाता है, जो भक्तों की हर मनोकामना पूरी करते हैं।
- – जग के झमेलों को छोड़कर भोले बाबा की भक्ति में लीन होने का संदेश दिया गया है।

फिर से सावन की रुत आई,
मौका चूक ना जाना भाई,
दरबार में भोले शंकर के,
गंगा जल भरके चलो,
बम बम रटते चलो।।
तर्ज – ये गलियां ये चौबारा
वो ही कांवर उठाकर आते,
मेरे भोले जिसको बुलाते,
शिव शंकर की बात निराली,
कोई दर से लौटा ना खाली,
जिसने प्रेम से नाम लिया है,
भोले शंकर ने क्या ना दिया है,
ना कोई भोले जैसा दानी,
ना कोई भोले जैसा ज्ञानी,
परिवार में भोले शंकर के,
गंगा जल भरके चलो,
बम बम रटते चलो।।
जिसपे भक्ति का रन्ग चढ़ा है,
इस दुनिया में वो ही बड़ा है,
भोले बाबा की की जिसने भक्ति,
उसका काम ना कोई अड़ा है,
देख एक बार कांवड़ उठा के,
और मन से तू बम बम गाके,
भोले बाबा को मनालो,
फिर जो चाहो वो ही पालो,
दरबार में भोले शंकर के,
गंगा जल भरके चलो,
बम बम रटते चलो।।
शिव है दाता है और जग है भिखारी,
कहलाते है वो त्रिपुरारी,
उनके दर की है अद्भुत माया,
मेने क्या भी बाबा से पाया,
चलो छोड़ो अब जग के झमेले,
भरके गागर अब काँधे पे लेले,
लख्खा राज की बात बताता,
महिमा कावड़ की सुनाता,
दरबार में भोले शंकर के,
गंगा जल भरके चलो,
बम बम रटते चलो।।
फिर से सावन की रुत आई,
मौका चूक ना जाना भाई,
दरबार में भोले शंकर के,
गंगा जल भरके चलो,
बम बम रटते चलो।।
