- – यह भजन प्रभु के नाम के नशे और दया की विनती करता है।
- – भजन में प्रभु के प्यार, शरण और करुणा की कामना व्यक्त की गई है।
- – लेखक अपने अस्तित्व को मिटाकर प्रभु की मस्ती और रहमत में डूबना चाहता है।
- – भजन में प्रभु के चरणों का दिवाना बनने और दुनिया से अलग होने की इच्छा जताई गई है।
- – यह भजन विनम्रता और भक्ति भाव से भरा हुआ है, जिसमें दया और आशीर्वाद की प्रार्थना की गई है।
- – भजन के लेखक शिवनारायण वर्मा हैं, और वीडियो अभी उपलब्ध नहीं है।
प्रभू नाम का मैं नशा चाहता हूँ,
विनय कर रहा हूँ दया चाहता हूँ।।
तर्ज – तेरे प्यार का आसरा चाहता हूँ।
परभू नाम का जाम मुझे भी पिलादो,
जो देखा न कभी भी वो जलवा दिखादो,
लगी है तलव जो उसे तुम बुझादो,
लगी है तलव जो उसे तुम बुझादो,
शरण मे तुम्हारी जगह चाहता हूँ,
विनय कर रहा हूँ दया चाहता हूँ,
प्रभू नाम का मै नशा चाहता हूँ,
विनय कर रहा हूँ दया चाहता हूँ।।
मिट जाए हस्ती छा जाए मस्ती,
रहमत पे तेरी टिकी मेरी कश्ती,
बन्दो को अपने जो तुमने बक्शी,
बन्दो को अपने जो तुमने बक्शी,
वही तो निगाहे करम चाहता हूँ,
विनय कर रहा हूँ दया चाहता हूँ,
प्रभू नाम का मै नशा चाहता हूँ,
विनय कर रहा हूँ दया चाहता हूँ।।
चरणो का अपने दिवाना बनालो,
अपनी श़माँ का परवाना बनालो,
दुनिया से मुझको बैगाना बनादो,
दुनिया से मुझको बैगाना बनादो,
अपने आपको भूलना चाहता हूँ,
विनय कर रहा हूँ दया चाहता हूँ,
प्रभू नाम का मै नशा चाहता हूँ,
विनय कर रहा हूँ दया चाहता हूँ।।
प्रभू नाम का मैं नशा चाहता हूँ,
विनय कर रहा हूँ दया चाहता हूँ।।
– भजन लेखक एवं प्रेषक –
शिवनारायण वर्मा,
मोबा.न.8818932923
/7987402880
वीडियो अभी उपलब्ध नहीं।
