प्रभु राम का बनके दीवाना,
छमाछम नाचे वीर हनुमाना,
के राम सियाराम जपता है,
मस्त मगन रहता है,
के राम सियाराम जपता है,
मस्त मगन रहता है ॥
राम के सिवा नहीं सूझे,
कोई दूजा नाम,
राम जी की धुन में,
रहता है ये आठों याम,
चुटकी बजाए,
खड़ताल बजाता है,
मुख से ये राम हरे,
राम गुण गाता है,
जग से ये होके बेगाना,
के राम सियाराम जपता है,
मस्त मगन रहता है,
के राम सियाराम जपता है,
मस्त मगन रहता है ॥
हाथ में सोटा लाल लंगोटा,
पहना है,
सिंदूरी तन वाले तेरा क्या,
कहना है,
राम सिया राम नाम,
ओढ़ के चुनरिया,
नाच रहा मस्ती में,
अवध नगरीया,
भूल गया बाला शर्माना,
के राम सियाराम जपता है,
मस्त मगन रहता है,
के राम सियाराम जपता है,
मस्त मगन रहता है ॥
राम चरण की धूलि,
माथे लगाई है,
मन में छवि श्री राम,
सिया की बसाई है,
राम जी के सेवक है,
बजरंग प्यारे जो,
अपना समय,
राम सेवा में गुजारे वो,
‘कुंदन’ करे ना बहाना,
के राम सियाराम जपता है,
मस्त मगन रहता है,
के राम सियाराम जपता है,
मस्त मगन रहता है ॥
प्रभु राम का बनके दीवाना,
छमाछम नाचे वीर हनुमाना,
के राम सियाराम जपता है,
मस्त मगन रहता है,
के राम सियाराम जपता है,
मस्त मगन रहता है ॥
प्रभु राम का बनके दीवाना: भजन
इस भजन में हनुमान जी के भक्ति भाव और उनकी प्रभु राम के प्रति अनन्य निष्ठा को अत्यंत गहराई से समझाया गया है। हर पंक्ति के पीछे छिपे अर्थ को न केवल आध्यात्मिक दृष्टिकोण से बल्कि एक भक्त की मनःस्थिति के दृष्टिकोण से भी व्याख्यायित किया गया है। यह भजन न केवल हनुमान जी की भक्ति का प्रतीक है, बल्कि यह भी सिखाता है कि प्रभु राम के नाम में कैसे पूर्णता प्राप्त की जा सकती है। आइए अब गहराई से प्रत्येक पंक्ति के अर्थ पर विचार करें।
प्रभु राम का बनके दीवाना, छमाछम नाचे वीर हनुमाना
हनुमान जी को “प्रभु राम का दीवाना” कहना उनके चरित्र के मुख्य पहलुओं को दर्शाता है। हनुमान जी केवल एक भक्त नहीं हैं; वे राम नाम के प्रति इतने समर्पित हैं कि उनका जीवन राम भक्ति में ही सिमट गया है। “छमाछम नाचे” न केवल उनके आनंद का प्रतीक है, बल्कि यह भी दर्शाता है कि जब भक्ति चरम पर होती है, तो वह केवल मन तक सीमित नहीं रहती; वह शारीरिक और मानसिक हर रूप में प्रकट होती है।
हनुमान जी का नृत्य एक साधारण क्रिया नहीं है; यह उनकी आत्मा का प्रभु राम से संवाद है। “वीर हनुमाना” इस बात को रेखांकित करता है कि भक्ति में आनंद के साथ-साथ वीरता का भी स्थान है। यह संतुलन दिखाता है कि भक्ति केवल कोमलता नहीं, बल्कि अदम्य साहस का भी पर्याय है।
के राम सियाराम जपता है, मस्त मगन रहता है
हनुमान जी के जीवन का केंद्र “राम सियाराम” का जाप है। इस पंक्ति में राम-नाम जाप की शक्ति को रेखांकित किया गया है। राम नाम केवल शब्द नहीं हैं; यह शक्ति, आनंद और जीवन का सार है। हनुमान जी का “मस्त मगन” रहना यह दर्शाता है कि जब व्यक्ति राम नाम का सच्चा जाप करता है, तो उसे सांसारिक समस्याएं प्रभावित नहीं कर पातीं।
“मस्त मगन” की अवस्था केवल बाहरी आनंद नहीं है; यह उस आंतरिक शांति का प्रतीक है, जो केवल भक्ति और प्रभु में विश्वास से प्राप्त होती है। यह पंक्ति सिखाती है कि जब व्यक्ति अपने भीतर प्रभु का वास कर लेता है, तो वह हर परिस्थिति में प्रसन्न रहता है।
राम के सिवा नहीं सूझे, कोई दूजा नाम
हनुमान जी के चरित्र का यह पहलू उनकी अनन्यता (exclusivity) को दर्शाता है। “राम के सिवा नहीं सूझे” का अर्थ है कि उनके जीवन का हर पल, हर विचार और हर क्रिया केवल राम के लिए है। यह सांसारिक जीवन से पूरी तरह विमुक्त होने का प्रतीक है।
“कोई दूजा नाम” यह स्पष्ट करता है कि जब मन पूरी तरह राम में रम जाता है, तो और किसी चीज़ की गुंजाइश नहीं रहती। यह पंक्ति यह भी सिखाती है कि भक्त को अपने लक्ष्य के प्रति एकाग्र रहना चाहिए।
राम जी की धुन में, रहता है ये आठों याम
“आठों याम” का अर्थ चौबीसों घंटे है। यह हनुमान जी के जीवन का सार है। सांसारिक जीवन में, जहां मनुष्य अलग-अलग गतिविधियों में उलझा रहता है, हनुमान जी का जीवन राम-धुन के प्रति समर्पित है।
यह पंक्ति यह भी सिखाती है कि राम नाम का स्मरण केवल कुछ समय के लिए नहीं होना चाहिए; यह हर समय, हर स्थिति में मन को स्थिर रखता है। यह निरंतरता ही भक्ति की गहराई को दर्शाती है।
चुटकी बजाए, खड़ताल बजाता है, मुख से ये राम हरे, राम गुण गाता है
हनुमान जी के भक्ति के भाव यहां और भी गहराई से व्यक्त किए गए हैं। “चुटकी बजाए” और “खड़ताल बजाता है” भजन-कीर्तन का प्रतीक हैं। यह पंक्ति यह सिखाती है कि भक्ति केवल मौन में नहीं, बल्कि उल्लास और संगीत में भी व्यक्त की जा सकती है।
“राम हरे” का अर्थ है कि राम नाम हर प्रकार की नकारात्मकता और अशांति को समाप्त कर देता है। जब हनुमान जी राम गुण गाते हैं, तो यह उनके भीतर की शुद्धता और आनंद को प्रकट करता है।
यह पंक्तियां बताती हैं कि भक्ति में संगीत और शब्दों का कितना महत्व है। जब व्यक्ति प्रभु के गुण गाता है, तो वह केवल उन्हें स्मरण नहीं करता, बल्कि अपनी आत्मा को शुद्ध करता है।
जग से ये होके बेगाना
हनुमान जी का “जग से बेगाना” होना इस बात का प्रतीक है कि सच्चा भक्त सांसारिक मोह-माया से परे होता है। यह पंक्ति भक्ति के उस उच्च स्तर को दर्शाती है, जहां भक्त को संसार के सुख-दुख प्रभावित नहीं करते।
“जग से बेगाना” का मतलब यह नहीं कि वे संसार को त्याग चुके हैं, बल्कि यह है कि वे संसार में रहते हुए भी उससे परे हैं। यह भक्ति का वह स्तर है, जहां व्यक्ति प्रभु के साथ एक हो जाता है।
हाथ में सोटा लाल लंगोटा, पहना है
हनुमान जी के “हाथ में सोटा” उनकी शक्ति और साहस का प्रतीक है। यह बताता है कि भक्त को न केवल भक्ति में स्थिर रहना चाहिए, बल्कि धर्म और सत्य की रक्षा के लिए तैयार रहना चाहिए।
“लाल लंगोटा” उनकी सादगी और तपस्या का प्रतीक है। यह दर्शाता है कि भक्ति का मार्ग सादा और सच्चा होना चाहिए।
सिंदूरी तन वाले तेरा क्या कहना है
यह पंक्ति हनुमान जी की दिव्यता को दर्शाती है। उनका “सिंदूरी तन” उनकी भक्ति और समर्पण का प्रतीक है। सिंदूर राम नाम की महिमा का रंग है, जो हनुमान जी के तन पर छाया हुआ है।
राम सिया राम नाम, ओढ़ के चुनरिया
हनुमान जी के राम-नाम को “चुनरिया” के रूप में ओढ़ने का प्रतीकात्मक अर्थ है। चुनरी आमतौर पर सम्मान, सादगी और पवित्रता का प्रतीक होती है। जब भजन कहता है कि उन्होंने राम-नाम को “चुनरिया” की तरह ओढ़ लिया है, इसका अर्थ है कि राम का नाम उनके पूरे जीवन को ढक चुका है।
यह दर्शाता है कि राम-नाम उनकी पहचान, उनकी आत्मा और उनकी शक्ति का केंद्र है। यह सिखाता है कि जब हम अपने जीवन में प्रभु का नाम ओढ़ लेते हैं, तो हम बाहरी और आंतरिक दोनों तरह की अशुद्धियों से बच जाते हैं।
नाच रहा मस्ती में, अवध नगरीया
“अवध नगरीया” राम की जन्मभूमि अयोध्या का उल्लेख है। यहां हनुमान जी की मस्ती और उल्लास का उल्लेख किया गया है, जो उनकी निस्वार्थ भक्ति को दर्शाता है।
यह पंक्ति यह सिखाती है कि भक्ति का सच्चा स्वरूप आनंद में होता है। जब व्यक्ति प्रभु राम की स्मृति में मग्न हो जाता है, तो उसकी आत्मा हर बंधन से मुक्त होकर एक दिव्य नृत्य करती है।
भूल गया बाला शर्माना
यह पंक्ति दर्शाती है कि जब भक्ति चरम सीमा पर पहुंच जाती है, तो सांसारिक झिझक, लज्जा या शर्म का कोई स्थान नहीं रहता। हनुमान जी राम-नाम में इतने रम चुके हैं कि वे केवल अपने आराध्य के साथ एकमात्र संबंध को महत्व देते हैं।
“भूल गया बाला शर्माना” यह भी सिखाता है कि जब आप सच्चे अर्थों में ईश्वर की ओर अग्रसर होते हैं, तो समाज का भय या किसी प्रकार की संकोच बाधा नहीं बन सकती।
राम चरण की धूलि, माथे लगाई है
यह पंक्ति दर्शाती है कि हनुमान जी ने प्रभु राम के चरणों की धूल अपने माथे पर लगा ली है। भारतीय संस्कृति में चरणों की धूल को परम पूजनीय और पवित्र माना जाता है।
इसका आध्यात्मिक अर्थ है कि भक्त अपने आराध्य के प्रति पूर्ण समर्पण दिखाते हुए उनके चरणों की सेवा को सर्वोच्च मानता है। यह पंक्ति यह भी सिखाती है कि भक्ति का सही अर्थ विनम्रता और समर्पण में है।
मन में छवि श्री राम, सिया की बसाई है
हनुमान जी के हृदय में केवल राम और सीता की छवि बसी हुई है। इसका गहरा अर्थ यह है कि उनके मन में न तो कोई और विचार है और न ही कोई और आकांक्षा।
यह सिखाता है कि जब मन प्रभु के प्रति स्थिर हो जाता है, तो भटकाव समाप्त हो जाता है। मन में राम और सीता का स्थायी निवास वह स्थिति है, जहां भक्त को आत्मिक शांति मिलती है।
राम जी के सेवक है, बजरंग प्यारे जो
यह पंक्ति हनुमान जी की पहचान को और स्पष्ट करती है। “राम जी के सेवक” होना एक साधारण उपाधि नहीं है; यह उनके जीवन का उद्देश्य और सार है।
“बजरंग प्यारे” का अर्थ है कि वे न केवल प्रभु राम के सेवक हैं, बल्कि उनके लिए प्यारे और विश्वसनीय साथी भी हैं। यह यह भी सिखाता है कि सच्चे भक्त को न केवल सेवा करनी चाहिए, बल्कि आराध्य के विश्वास के योग्य भी बनना चाहिए।
अपना समय, राम सेवा में गुजारे वो
यह पंक्ति यह सिखाती है कि जीवन का प्रत्येक क्षण राम सेवा में समर्पित होना चाहिए। सांसारिक जीवन में हम समय को कई कामों में व्यर्थ कर देते हैं, लेकिन हनुमान जी ने अपने हर क्षण को प्रभु राम की सेवा के लिए समर्पित किया।
यह सिखाता है कि जीवन में सबसे महत्वपूर्ण कार्य प्रभु की सेवा है, चाहे वह किसी भी रूप में हो।
‘कुंदन’ करे ना बहाना
भजन के इस भाग में लेखक ‘कुंदन’ यह संदेश देता है कि भक्ति में कोई बहाना नहीं होना चाहिए। यह सरल लेकिन महत्वपूर्ण बात है।
यह पंक्ति हर भक्त को यह सिखाती है कि भक्ति के मार्ग पर बहाने नहीं चल सकते। अगर हनुमान जी जैसा भक्त हर क्षण राम सेवा में लगा रह सकता है, तो हमें भी अपने प्रयासों में ईमानदारी रखनी चाहिए।
प्रभु राम का बनके दीवाना, छमाछम नाचे वीर हनुमाना
भजन का समापन इसी पंक्ति के साथ होता है, जो हमें हनुमान जी की भक्ति की मुख्य विशेषताओं की याद दिलाता है। यह पंक्ति हमें बार-बार यह सिखाती है कि राम नाम का जाप और भक्ति केवल एक साधना नहीं है; यह जीवन का सार और सबसे बड़ा आनंद है।
हनुमान जी का नृत्य, उनका समर्पण और उनका आनंद एक आदर्श भक्त का जीवन है।
भजन का सारांश
यह भजन केवल हनुमान जी की भक्ति का वर्णन नहीं करता, बल्कि यह हमें सिखाता है कि राम-नाम का जाप, भक्ति में स्थिरता और सेवा का महत्व कितना अधिक है।
हनुमान जी जैसे भक्त से हमें सीखना चाहिए कि अपने आराध्य के प्रति अनन्य निष्ठा कैसे रखी जाए। सांसारिक मोह-माया से परे जाकर जब हम अपने जीवन को प्रभु राम के प्रति समर्पित कर देते हैं, तभी सच्चे अर्थों में भक्ति का अनुभव होता है।