प्रेम हो तो श्री हरि का प्रेम होना चाहिए
जो बने विषयों के प्रेमी उनको रोना चाहिए
मखमली गद्दे पे सोये ऐश और आराम से
मखमली गद्दे पे सोये ऐश और आराम से
वास्ते परलोक के भी कुछ तो बिछौना चाहिए
प्रेम हो तो श्री हरि का प्रेम होना चाहिए
जो बने विषयों का भोगी उनको रोना चाहिए
बीज बोकर बाग़ के फल खाये है तुमने अगर
बीज बोकर बाग़ के फल खाये है तुमने अगर
वास्ते परलोक के भी कुछ तो बोना चाहिए
प्रेम हो तो श्री हरि का प्रेम होना चाहिए
जो बने विषयों का भोगी उनको रोना चाहिए
दिन बिताया अगर तुम ऐश और आराम में
दिन बिताया अगर तुम ऐश और आराम में
रात में सुमरन हरि का कर के सोना चाहिए
प्रेम हो तो श्री हरि का प्रेम होना चाहिए
जो बने विषयों का भोगी उनको रोना चाहिए
प्रेम हो तो श्री हरि का प्रेम होना चाहिए – भजन का अर्थ
इस भजन का मूल भाव यह है कि सच्चा प्रेम केवल भगवान श्री हरि के प्रति होना चाहिए, क्योंकि सांसारिक वस्तुओं और सुखों के प्रेम में कोई स्थायित्व नहीं है। भजन के माध्यम से यह संदेश दिया गया है कि परलोक के सुख और सच्चे प्रेम के लिए हमें भगवान की भक्ति और उनके प्रेम का मार्ग अपनाना चाहिए।
प्रेम का अर्थ
प्रेम हो तो श्री हरि का प्रेम होना चाहिए
इस पंक्ति में बताया गया है कि सच्चा प्रेम वही है जो भगवान श्री हरि के प्रति हो। सांसारिक वस्तुओं का प्रेम क्षणिक होता है और मोह-माया में उलझाता है, जबकि श्री हरि का प्रेम व्यक्ति को मोक्ष और आत्मिक शांति प्रदान करता है।
विषयों के प्रेमियों के लिए उपदेश
जो बने विषयों के प्रेमी उनको रोना चाहिए
जो लोग सांसारिक विषयों, धन-दौलत, और सुख-सुविधाओं में लिप्त रहते हैं, उनके लिए यहाँ एक चेतावनी दी गई है कि यह सब अस्थायी है। जीवन का अंत होने पर ये विषय किसी काम के नहीं रह जाते, और तब उन्हें पछताना पड़ता है। इसलिए ऐसे विषयों के प्रेमियों को सावधान रहना चाहिए और वास्तविक प्रेम की ओर अग्रसर होना चाहिए।
सांसारिक सुख और ईश्वर की भक्ति का महत्व
मखमली गद्दे पे सोये ऐश और आराम से
यह पंक्ति उन लोगों को संबोधित करती है जो ऐश-आराम और विलासिता में लिप्त रहते हैं। यहाँ मखमली गद्दों पर सोने का उल्लेख कर यह बताना चाहा गया है कि ये भौतिक सुख एक सीमित अवधि के लिए ही आनंद देते हैं।
वास्ते परलोक के भी कुछ तो बिछौना चाहिए
यहाँ परलोक की तैयारी का महत्व बताया गया है। जिस प्रकार संसार में बिस्तर और आराम का प्रबंध किया जाता है, वैसे ही परलोक के लिए भी आध्यात्मिक प्रबंध आवश्यक है। इस पंक्ति में परलोक के लिए पुण्य और भक्ति का संचय करने का संदेश है।
बाग़ का फल और कर्म की उपज
बीज बोकर बाग़ के फल खाये है तुमने अगर
यहाँ यह बताया गया है कि जिस प्रकार व्यक्ति बाग में बीज बोता है और उसके फल प्राप्त करता है, वैसे ही जीवन के कर्मों का फल अंततः मिलता है। सांसारिक कार्यों के लिए व्यक्ति मेहनत करता है और सुखों का उपभोग करता है, इसी तरह आध्यात्मिक लाभ के लिए भी प्रयास जरूरी है।
वास्ते परलोक के भी कुछ तो बोना चाहिए
यहाँ आध्यात्मिक जीवन के लिए कर्मों के महत्व पर जोर दिया गया है। संसार में आनंद और भोग के साथ, हमें परलोक के लिए भी पुण्य के बीज बोने चाहिए ताकि हमें मोक्ष और शांति प्राप्त हो सके।
दिन-रात में भगवान की स्मरण का महत्व
दिन बिताया अगर तुम ऐश और आराम में
दिन के समय में यदि व्यक्ति ने आराम और विलासिता में समय बिताया है, तो जीवन के अंत में उसे कुछ सार्थक करने का विचार करना चाहिए। सांसारिक सुखों के बावजूद, हमें भगवान का स्मरण नहीं भूलना चाहिए।
रात में सुमरन हरि का कर के सोना चाहिए
रात के समय भगवान का स्मरण करना आवश्यक है ताकि हम अपने जीवन को सही दिशा में ले जा सकें। रात में सोने से पहले हरि का ध्यान और उनके प्रति प्रेम व्यक्ति को वास्तविक शांति देता है।
निष्कर्ष
इस भजन का प्रत्येक पंक्ति हमें यह बताने का प्रयास करती है कि सांसारिक सुख क्षणिक होते हैं और इनमें लिप्त होना व्यर्थ है। हमें सच्चे प्रेम के रूप में भगवान श्री हरि की भक्ति और सेवा में ही अपना जीवन समर्पित करना चाहिए।