- – यह गीत प्रेम के गहरे और अटूट बंधन की महिमा को दर्शाता है, जिसमें मोहन (कृष्ण) प्रेम में बंध जाते हैं।
- – तुलसीदास और मीरा जैसे महान भक्तों के वादों और प्रेम की शक्ति का उल्लेख किया गया है।
- – प्रेम की ताकत से व्यक्ति अपने सांसारिक रूपों को छोड़कर उच्च आध्यात्मिक स्थिति प्राप्त करता है।
- – गीत में प्रेम को जीवन की हर नस में बसने वाला और समर्पण का प्रतीक बताया गया है।
- – यह रचना प्रेमियों के बीच एकता और प्रेम के बंधन को मजबूत करने का संदेश देती है।
प्रेम के बंधन में मोहन बंध गए,
प्रेमियों ने जो बनाया बन गए,
प्रेम के बंधन में मोहन बंध गए।।
तर्ज – दिल के अरमा आंसुओ में।
वादा तुलसीदास का पूरा किया,
वादा तुलसीदास का पूरा किया,
छोड़ बंसी धनुषधारी बन गए
प्रेम के बंधन में मोहन बँध गए,
प्रेमियों ने जो बनाया बन गए,
प्रेम के बंधन में मोहन बंध गए।।
जान मीरा की ना राणा ले सका,
जान मीरा की ना राणा ले सका,
नाग से आकर नारायण बन गए,
प्रेम के बंधन में मोहन बँध गए,
प्रेमियों ने जो बनाया बन गए,
प्रेम के बंधन में मोहन बंध गए।।
प्रेम से भरपूर जिसने दिल दिया,
प्रेम से भरपूर जिसने दिल दिया,
उसकी नस नस में हरी जी बस गए,
प्रेम के बंधन में मोहन बँध गए,
प्रेमियों ने जो बनाया बन गए,
प्रेम के बंधन में मोहन बंध गए।।
प्रेम के बंधन में मोहन बंध गए,
प्रेमियों ने जो बनाया बन गए,
प्रेम के बंधन में मोहन बंध गए।।
Singer : Chitra Vichitra Ji