- – कविता में राधा नाम की फुलवारी की सुंदरता और उसकी महक का वर्णन किया गया है, जो हर पत्ता-पत्ता श्याम (कृष्ण) की आवाज़ सुनाता है।
- – कली, पक्षी, मोर, और कोयल की मधुरता राधा की उपस्थिति से जुड़ी है, जिससे वातावरण में प्रेम और आनंद व्याप्त होता है।
- – राधा के नाम से पूरा वृन्दावन महक उठता है और उसकी महिमा गली-गली में गूंजती है।
- – प्रेम के जल से सिंची गई यह बगिया सभी रसिकों के लिए प्रिय और आनंददायक है।
- – हरियाली और प्राकृतिक छटा राधा के साथ और भी मनमोहक हो जाती है, जिससे यह बगिया विशेष और अनोखी बन जाती है।
- – गीत में श्याम (कृष्ण) की उपस्थिति हर पत्ते और हर कोने में महसूस की जाती है, जो प्रेम और भक्ति की भावना को प्रकट करता है।

राधा नाम की लगाई फुलवारी,
के पत्ता पत्ता श्याम बोलता,
के पत्ता पत्ता श्याम बोलता,
के पत्ता पत्ता श्याम बोलता,
राधा नाम की लगायी फुलवारी,
के पत्ता पत्ता श्याम बोलता।।
कली कली में महक उसी की,
हर पक्षी में चहक उसी की,
नाचे मोर कोंके कोयलिया कारी,
के पत्ता पत्ता श्याम बोलता,
राधा नाम की लगायी फुलवारी,
के पत्ता पत्ता श्याम बोलता।।
राधा नाम का खिल गया उपवन,
महक उठा सारा वृन्दावन,
गूंजे गली गली में शोर भारी,
के पत्ता पत्ता श्याम बोलता,
राधा नाम की लगायी फुलवारी,
के पत्ता पत्ता श्याम बोलता।।
प्रेम के जल से सिंची ये बगिया,
महके ग्वाले महकी सखियां,
सब रसिकन को लागी हैं प्यारी,
के पत्ता पत्ता श्याम बोलता,
राधा नाम की लगायी फुलवारी,
के पत्ता पत्ता श्याम बोलता।।
‘चित्र विचित्र’ छाई हरियाली,
विहरत राधा संग बनमाली,
ऐसी पागल की बगिया है न्यारी,
के पत्ता पत्ता श्याम बोलता,
राधा नाम की लगायी फुलवारी,
के पत्ता पत्ता श्याम बोलता।।
राधा नाम की लगाई फुलवारी,
के पत्ता पत्ता श्याम बोलता,
के पत्ता पत्ता श्याम बोलता,
के पत्ता पत्ता श्याम बोलता,
राधा नाम की लगायी फुलवारी,
के पत्ता पत्ता श्याम बोलता।।
गायक – श्री चित्र विचित्र जी महाराज।
प्रेषक – शेखर चौधरी।
मो – 9074110618
