- – गीत में राधा और मुरली वाले (कृष्ण) के प्रेम और भावनाओं का सुंदर चित्रण किया गया है।
- – मुरली वाला राधा की शरमाती अदाओं और काजल लगाने की बात करता है, जो उसकी सुंदरता को बढ़ाता है।
- – कृष्ण राधा के बिना अधूरा महसूस करता है और उसके साथ जीवन बिताने की इच्छा व्यक्त करता है।
- – गीत में ब्रज की पावन भूमि और राधा-कृष्ण के प्रेम का सांस्कृतिक महत्व झलकता है।
- – प्रेम की सच्चाई और हर जन्म साथ चलने की भावना को गीत में प्रमुखता दी गई है।
- – रामकुमार लख्खा जी ने इस गीत को स्वरबद्ध किया है, जो भावनाओं को और भी गहराई से प्रस्तुत करता है।

राधा ने काजल डाला,
संग में आई ब्रजबाला,
जब देखी गली में आती,
यूँ बोला मुरली वाला,
अरे सुन सुन सुन सुन,
क्यो इतनी शरमाती है,
मैया की कसम तू मेरे,
सपनो में आती है,
राधा ने काजल डाला।।
तर्ज – तेरी आंख्या को यो काजल।
ओ राधे जिस दिन तेरा,
दीदार नही होता,
मुझे हो जाती बेचैनी,
ना रात भर सोता,
नैनो में तू ही समाई,
मन को भी तू ही भायी,
मैं हुआ दीवाना जबसे,
तू देख मुझे मुस्काई,
अरे सुन सुन सुन सुन,
क्यो इतनी शरमाती है,
मैया की कसम तू मेरे,
सपनो में आती है,
राधा ने काजल डाला।।
मैने मैया से भी बोला,
राधा से ब्याह करा दे,
मैं कहता राधा राधा,
मेरे हाथो माँग भरादे,
की मेरे दिल की चोरी,
तू बरसाने की गोरी,
मैं नही छोड़ने वाला,
तेरे प्यार की डोरी,
अरे सुन सुन सुन सुन,
क्यो इतनी शरमाती है,
मैया की कसम तू मेरे,
सपनो में आती है,
राधा ने काजल डाला।।
मैं तेरे बिना हूँ आधा,
तेरा साथ ज़रूरी है,
मेरे इन हाथो में,
तेरा हाथ ज़रूरी है,
जब मन का कमल खिलेगा,
जब दिल को चैन मिलेगा,
है प्यार हमारा सच्चा,
हर जनम में साथ चलेगा,
अरे सुन सुन सुन सुन,
क्यो इतनी शरमाती है,
मैया की कसम तू मेरे,
सपनो में आती है,
राधा ने काजल डाला।।
राधा ने काजल डाला,
संग में आई ब्रजबाला,
जब देखी गली में आती,
यूँ बोला मुरली वाला,
अरे सुन सुन सुन सुन,
क्यो इतनी शरमाती है,
मैया की कसम तू मेरे,
सपनो में आती है,
राधा ने काजल डाला।।
स्वर – रामकुमार लख्खा जी।
