- – कविता में आंसुओं को मोतियों के रूप में प्रस्तुत किया गया है जो राधे के चरणों में गिरकर मूल्यवान बन जाते हैं।
- – दिल के अंदर छुपे दर्द और पीड़ा आंसुओं के माध्यम से व्यक्त होती है, जो दिल को हल्का कर देती है।
- – आंसू वे भावनाएँ व्यक्त करते हैं जिन्हें शब्दों में व्यक्त करना मुश्किल होता है, और राधे की ममता उन्हें समझती है।
- – राधे की करुणा और ममता आंसुओं को पिघला देती है, जिससे शांति और सुख की अनुभूति होती है।
- – माँ की गोद से भी अधिक सुख राधे के चरणों में आंसू गिराने से मिलता है, जो आध्यात्मिक और भावनात्मक शांति का प्रतीक है।

राधे के चरणों में गिरकर,
आसूँ मोती बन जाते,
हो जाते बेकार अगर ये,
और कही बह जाते,
राधे के चरणो में गिरकर,
आसूँ मोती बन जाते।।
घुट कर अंदर अंदर जब,
दिल का दर्द उबलता है,
बाँध तोड़ कर पलको के,
आंसू का दरिया बहता है,
बह जाते है आंसू पर,
दिल को हल्का कर जाते,
राधे के चरणो में गिरकर,
आसूँ मोती बन जाते।।
उसके आगे क्या रोना जो,
मोल ना आंसू का जाने,
अंतर् मन की पीड़ा केवल,
अंतर्यामी पहचाने,
बोल नहीं सकते हम जो कुछ,
वो आंसू कह जाते,
राधे के चरणो में गिरकर,
आसूँ मोती बन जाते।।
ममतामयी मेरी राधे जी,
आंसू देख पिगल जाती,
लाल के बहते आंसू में,
उसकी करुणा भी बह जाती,
माँ की गोद से ज्यादा बच्चे,
और कहाँ सुख पाते,
राधे के चरणो में गिरकर,
आसूँ मोती बन जाते।।
राधे के चरणों में गिरकर,
आसूँ मोती बन जाते,
हो जाते बेकार अगर ये,
और कही बह जाते,
राधे के चरणो में गिरकर,
आसूँ मोती बन जाते।।
स्वर – मनीष भट्ट जी।
