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- – यह गीत राधा और कृष्ण (कान्हा) के प्रेम और उनके दिव्य संबंध को दर्शाता है।
- – गीत में राधा और कृष्ण की विभिन्न रूपकों के माध्यम से तुलना की गई है, जैसे राधा माखन और कृष्ण कन्हाई, राधा मलाई और कृष्ण मिश्री।
- – राधा और कृष्ण की जोड़ी को प्रकृति और आध्यात्मिक तत्वों से जोड़ा गया है, जैसे गंगा और धार, रिमझिम और बदरिया।
- – गीत में राधा और कृष्ण के प्रेम को अमृत, ज्योति, उजाला जैसे पवित्र और सुंदर रूपों में प्रस्तुत किया गया है।
- – “राधे राधे की जपले तू माला, मिलेंगे तोहे गोपाला” यह पंक्ति भक्ति और प्रेम की भावना को प्रकट करती है, जिसमें गोपाला (कृष्ण) से मिलने की कामना है।
- – गीत की गायिका त्रिप्ती शाक्य हैं, जिन्होंने इस भक्ति गीत को मधुरता से प्रस्तुत किया है।
राधे राधे की जपले तू माला,
मिलेंगे तोहे गोपाला।।
राधा जी गोरस तो,
माखन कन्हाई,
कान्हा है मिश्री तो,
राधा मलाई,
कान्हा है अमृत तो,
राधा जी प्याला,
राधे राधे की जपलें तू माला,
मिलेंगे तोहे गोपाला।।
राधा जी गंगा तो,
धार साँवरिया,
कान्हा है रिमझिम तो,
राधा बदरिया,
कान्हा और राधा का,
नाता निराला,
राधे राधे की जपलें तू माला,
मिलेंगे तोहे गोपाला।।
राधा जी धागा तो,
कान्हा है मोती,
कान्हा वहाँ है जहाँ,
राधा जी होती,
राधा है ज्योति तो,
कान्हा उजाला,
राधे राधे की जपलें तू माला,
मिलेंगे तोहे गोपाला।।
राधे राधे की जपले तू माला,
मिलेंगे तोहे गोपाला।।
Singer : Tripti Shakya
अस्वीकरण (Disclaimer) : नुस्खे, योग, धर्म, ज्योतिष आदि विषयों पर HinduismFAQ में प्रकाशित/प्रसारित वीडियो, आलेख एवं समाचार सिर्फ आपकी जानकारी के लिए हैं। 'HinduismFAQ' इसकी कोई ज़िम्मेदारी नहीं लेती है।