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- – यह गीत सुहागन (विवाहित महिला) की भावनाओं और उनकी सुहाग की रक्षा की प्रार्थना को दर्शाता है।
- – बिंदिया, सिंदूर, कंगना और चूड़ी जैसे सुहाग के प्रतीकों का महत्व बताया गया है।
- – सुहाग को जीवन का ताज और परिवार में कान्हा (भगवान कृष्ण) का राज माना गया है।
- – पति की सुरक्षा और उनके जीवन में सुख-शांति बनाए रखने की कामना की गई है।
- – जन्मों के बंधन को मजबूत बनाए रखने और पति की विदाई के समय आशीर्वाद की प्रार्थना की गई है।
- – गीत में बांके बिहारी (भगवान कृष्ण) से पति की रक्षा और खुशहाली की विनती की गई है।

रखना सुहागन बांके बिहारी,
चरणों में तेरे ये है अर्जी हमारी,
रखना सुहागन बांके बिहारी।।
तर्ज – सागर किनारे।
बिंदिया सिंदूर मेरा चमके हमेशा,
हाथो का कंगना चूड़ी खनके हमेशा,
रहमत हमेशा हम पे रखना तुम्हारी,
रखना सुहागन बांके बिहारी।।
मेरा सुहाग ही तो ताज है मेरा,
इन से ही घर में कान्हा राज है मेरा,
इनके बिना न कोई हस्ती हमारी,
रखना सुहागन बांके बिहारी।।
आंच कभी भी इनपे आने ना देना,
बदले में चाहे मेरी जान तू लेना,
जन्मो का बंधन जोड़े रखना बिहारी,
रखना सुहागन बांके बिहारी।।
मनड़े की बात मैंने सारी बताई,
काँधे पे इनके मेरी करना विदाई,
ख्वाहिश हरी तुम पूरी करना हमारी,
रखना सुहागन बांके बिहारी।।
रखना सुहागन बांके बिहारी,
चरणों में तेरे ये है अर्जी हमारी,
रखना सुहागन बांके बिहारी।।
अस्वीकरण (Disclaimer) : नुस्खे, योग, धर्म, ज्योतिष आदि विषयों पर HinduismFAQ में प्रकाशित/प्रसारित वीडियो, आलेख एवं समाचार सिर्फ आपकी जानकारी के लिए हैं। 'HinduismFAQ' इसकी कोई ज़िम्मेदारी नहीं लेती है।
