- – यह भजन राम और हरि के गुणों का गुणगान करता है और जीवन के विभिन्न चरणों में ईश्वर पर भरोसा बनाए रखने का संदेश देता है।
- – बालपन, जवानी और बुढ़ापे के अनुभवों को दर्शाते हुए, जीवन की अनिश्चितताओं और माया की अस्थिरता को बताया गया है।
- – भजन में माता-पिता की चिंता और बच्चों की देखभाल का भी उल्लेख है, जो जीवन के सामाजिक पहलुओं को उजागर करता है।
- – गुरु और संतों की महिमा का वर्णन करते हुए, उनके द्वारा सिमरन और समझाने के महत्व को बताया गया है।
- – मुख्य रूप से यह भजन मनुष्य को सांसारिक माया से ऊपर उठकर ईश्वर के गुणों में विश्वास रखने की प्रेरणा देता है।

राम गुण गाले बंदा,
हरि गुण गाले रे,
थारे कंचन ने काया रो,
भरोसो कोणी मारा मनवा रे,
हरि गुण गाले।।
बालपनो हंसा खेल गमायो,
जवानी में सुखभर सुतो,
हरि गुण गाले रे,
थारे कंचन ने काया रो,
भरोसो कोणी मारा मनवा रे,
हरि गुण गाले।।
गयी जवानी बंदा आयो बूढापो,
तबरियादा डोडा बोले,
हरि गुण गाले रे,
थारे कंचन ने काया रो,
भरोसो कोणी मारा मनवा रे,
हरि गुण गाले।।
केवे माता सुण मारा बेटा,
इण डोकरिया रो खाट बारे ढालो,
हरि गुण गाले रे,
थारे कंचन ने काया रो,
भरोसो कोणी मारा मनवा रे,
हरि गुण गाले।।
देशा में फिरियो प्रदेशा में फिरियो,
कोड़ी कोड़ी करने माया जोड़ी,
हरि गुण गाले रे,
थारे कंचन ने काया रो,
भरोसो कोणी मारा मनवा रे,
हरि गुण गाले।।
संता रे समागम गुरूसा री महिमा,
सिमरत तो समजावे अवसर जावे,
हरि गुण गाले रे,
थारे कंचन ने काया रो,
भरोसो कोणी मारा मनवा रे,
हरि गुण गाले।।
राम गुण गाले बंदा,
हरि गुण गाले रे,
थारे कंचन ने काया रो,
भरोसो कोणी मारा मनवा रे,
हरि गुण गाले।।
गायक / प्रेषक – श्यामनिवास जी।
9024989481
