- – राम जी और सांवरिया से मिलने के लिए सच्चाई और ईमानदारी बनाए रखना आवश्यक है।
- – माता-पिता की सेवा करना और तीर्थ गंगा की यात्रा करना पुण्य का मार्ग है।
- – अच्छे संगत और सत्पुरुषों के साथ रहना मुक्ति और सही मार्ग की ओर ले जाता है।
- – जाति-पाति से ऊपर उठकर सतगुरुओं की बात माननी चाहिए, क्योंकि वे सत्य के मार्गदर्शक हैं।
- – सतगुरुओं की शरण लेकर जीवन की कठिनाइयों से बचा जा सकता है और आत्मिक शांति मिलती है।
- – गीत में जीवन के आध्यात्मिक और नैतिक मूल्यों को अपनाने का संदेश दिया गया है।
राम जी मिल जावे नेछो,
राखो सांची बात रो,
सांवरियो मिल जावे नेछो,
राखो सांची बात रो।।
मात पिता री सेवा करलो,
तीर्थ गंगा मात रो,
अटे दियोड़ो आगे मिलेगा,
लेणो हाथों हाथ रो,
राम जी मिल जावे नेचो,
राखो सांची बात रो,
सांवरियो मिल जावे नेछो,
राखो सांची बात रो।।
नुगरा नर रो संग नहीं करणो,
तिरिया चंचल जात रो,
मार्ग तो मुगती रो संतो,
सत्पुरुषों रे साथ रो,
राम जी मिल जावे नेचो,
राखो सांची बात रो,
सांवरियो मिल जावे नेछो,
राखो सांची बात रो।।
सतगुरुषा तो सांची केवे,
मानो उनकी बात को,
नर नारी दोनों ही सुनलो,
कारण नहीं है जात रो,
राम जी मिल जावे नेचो,
राखो सांची बात रो,
सांवरियो मिल जावे नेछो,
राखो सांची बात रो।।
सतगुरुषा रो शरणो लेलो,
टालो जम की लात को,
गोविंद़ो संन्यासी बोले,
चेलों निर्मल नाथ रो,
राम जी मिल जावे नेचो,
राखो सांची बात रो,
सांवरियो मिल जावे नेछो,
राखो सांची बात रो।।
राम जी मिल जावे नेछो,
राखो सांची बात रो,
सांवरियो मिल जावे नेछो,
राखो सांची बात रो।।
– गायक एवं प्रेषक –
सुनील विश्नोई देचू
9587303598
https://youtu.be/uHAIlAuJcr0
