भजन

राम का हर पल ध्यान लगाए, राम नाम मतवाला: भजन (Ram Ka Har Pal Dhyan Lagaye Ram Naam Matwala)

धर्म दर्शन वॉट्स्ऐप चैनल फॉलो करें Join Now

राम का हर पल ध्यान लगाए,
राम नाम मतवाला,
चिर के सीना दरश कराए,
माँ अंजनी का लाला,
बाला राम का दीवाना,
सियाराम का दीवाना,
राम का दीवाना,
सियाराम का दीवाना ॥

अंग सिंदूर विराजे है,
राम मगन हो नाचे है,
राम के सिवा तो इसे,
कुछ भी ना भाए रे,
महिमा राम की गाते है,
छम छम नाच दिखाते है,
राम के बिना ये माला,
तोड़ बिखराए रे,
राम को दिल में बसा के,
मुस्का के गुण गा के,
देखो राम को रिझाए,
हनुमान सा दूजा ना है,
रघुवर का रखवाला,
चिर के सीना दरश कराए,
माँ अंजनी का लाला,
राम का दीवाना,
सियाराम का दीवाना,
राम का दीवाना,
सियाराम का दीवाना ॥

रघुनन्दन का प्यारा है,
सीता का दुलारा है,
राम जी का मेरा बाबा
साथ निभाए है,
राम की सेवा करता है,
राम की पूजा करता है,
राम के द्वारे बैठा,
चुटकी बजाए रे,
राम का ये है दीवाना,
मस्ताना हनुमाना देखो,
राम धुन गाए,
जब जब राम पे विपदा आई,
इसने संकट टाला,
चिर के सीना दरश कराए,
माँ अंजनी का लाला,
राम का दीवाना,
सियाराम का दीवाना,
राम का दीवाना,
सियाराम का दीवाना ॥

राम भजन जहाँ होता है,
वहां पे हाजिर रहता है,
राम के भजन में ये,
सुध बिसराए रे,
जिस घर राम बसेरा है,
हनुमत का वहां पहरा है,
‘हर्ष’ कभी ना वहां,
विपदा सताए रे,
राम का नाम सुहाए,
मन भाए दिल लुभाए,
देखो हरि गुण गाए,
आँख मीच कर ध्यान लगाए,
फेरे राम की माला,
चिर के सीना दरश कराए,
माँ अंजनी का लाला,
राम का दीवाना,
सियाराम का दीवाना,
राम का दीवाना,
सियाराम का दीवाना ॥

यह भी जानें:  श्री राम जी का मंदिर, सुन्दर बनाएँगे हम - भजन: Shri Ramji Ka Mandir Sundar Banayenge Hum

राम का हर पल ध्यान लगाए,
राम नाम मतवाला,
चिर के सीना दरश कराए,
माँ अंजनी का लाला,
बाला राम का दीवाना,
सियाराम का दीवाना,
राम का दीवाना,
सियाराम का दीवाना ॥

राम का हर पल ध्यान लगाए, राम नाम मतवाला: गहन विवेचना

यह भजन भगवान श्रीराम और उनके परम भक्त हनुमान जी की भक्ति के विविध पहलुओं का सजीव वर्णन करता है। इसमें हनुमान जी की निष्ठा, उनकी सेवाभावना, और राम नाम के प्रति उनकी गहन आसक्ति को शब्दों में बांधा गया है। प्रत्येक पंक्ति गहरी भक्ति और आध्यात्मिक संदेश से ओतप्रोत है। आइए, इसे विस्तार से समझते हैं।


राम का हर पल ध्यान लगाए, राम नाम मतवाला

हनुमान जी की भक्ति का यह स्वरूप “अखण्ड ध्यान” की अवस्था को दर्शाता है। वह हर समय भगवान राम के ध्यान में लीन रहते हैं। यह ध्यान केवल एक मानसिक क्रिया नहीं है, बल्कि उनके अस्तित्व का अभिन्न हिस्सा है। उनके लिए “राम” केवल नाम नहीं, बल्कि चेतना का वह स्तर है जहां वे पूर्ण समर्पण के साथ रम जाते हैं।

“राम नाम मतवाला” शब्द से यह स्पष्ट होता है कि राम नाम उनके लिए अमृत के समान है। उनके हृदय में हर समय राम नाम का जप चलता रहता है, जिससे उन्हें एक आनंदमय अवस्था प्राप्त होती है। यह स्थिति भक्त और भगवान के बीच की अटूट निष्ठा और प्रेम को दर्शाती है।


चिर के सीना दरश कराए, माँ अंजनी का लाला

हनुमान जी द्वारा अपना सीना चीरकर राम और सीता का दर्शन कराना भक्ति का चरमोत्कर्ष है। यह घटना हमें यह सिखाती है कि सच्ची भक्ति में केवल बाहरी दिखावा नहीं होता, बल्कि भगवान को भीतर बसाने का भाव होना चाहिए।

“माँ अंजनी का लाला” कहना केवल उनके माता-पिता के प्रति प्रेम को नहीं दर्शाता, बल्कि यह उनकी सरलता और निश्छल भक्ति का भी प्रतीक है। हनुमान जी ने अपनी भक्ति के बल पर यह सिद्ध किया कि भगवान को पाने के लिए मन में निर्मलता और निस्वार्थ प्रेम होना आवश्यक है।


बाला राम का दीवाना, सियाराम का दीवाना

इस पंक्ति में हनुमान जी की न केवल भगवान राम के प्रति, बल्कि माता सीता के प्रति भी समान भक्ति और आदरभाव का उल्लेख है। “बाला राम का दीवाना” यह दर्शाता है कि हनुमान जी बचपन से ही राम के प्रति दीवाने थे। यह दीवानगी केवल अंध श्रद्धा नहीं है, बल्कि एक ऐसा भाव है जो ज्ञान, सेवा, और समर्पण से परिपूर्ण है।

यह भी जानें:  हरिया हरिया बागा में बोल रे सुवटिया - Hariya Hariya Baga Mein Bol Re Suvatiya - Hinduism FAQ

“सियाराम का दीवाना” एक व्यापक दृष्टिकोण प्रस्तुत करता है, जहां भगवान राम और माता सीता दोनों के प्रति उनकी भक्ति को एकीकृत रूप में दिखाया गया है। यह भक्ति हमें सिखाती है कि भगवान और उनकी शक्ति (सीता) को अलग-अलग मानने के बजाय एकसार रूप में स्वीकार करना चाहिए।


अंग सिंदूर विराजे है, राम मगन हो नाचे है

यह दृश्यात्मक पंक्ति हनुमान जी के भक्ति-रूप की झलक प्रदान करती है। उनका पूरा शरीर सिंदूर से सुशोभित होता है। पौराणिक कथाओं में उल्लेख है कि हनुमान जी ने सिंदूर से स्वयं को इसलिए लेपित किया क्योंकि यह उनके प्रिय श्रीराम को प्रसन्न करता है। यह घटना बताती है कि सच्ची भक्ति में स्वार्थ का कोई स्थान नहीं है; केवल भगवान की खुशी ही प्राथमिकता है।

“राम मगन हो नाचे है” से यह ज्ञात होता है कि हनुमान जी अपनी भक्ति को केवल ध्यान और पूजा तक सीमित नहीं रखते, बल्कि अपनी भावनाओं को अभिव्यक्त करने के लिए नृत्य करते हैं। यह नृत्य उनकी भक्ति का सहज और प्राकृतिक विस्तार है।


राम के सिवा तो इसे, कुछ भी ना भाए रे

हनुमान जी के चरित्र की यह विशेषता हमें उनके जीवन का सबसे बड़ा सत्य सिखाती है—उनके लिए श्रीराम ही सब कुछ हैं। सांसारिक इच्छाओं और वस्तुओं के प्रति उनका कोई मोह नहीं है। यह निःस्वार्थ भक्ति का अद्भुत उदाहरण है।

इस पंक्ति में यह स्पष्ट किया गया है कि सच्चे भक्त को केवल भगवान में ही रुचि होती है। भौतिक सुख-दुःख, लाभ-हानि का उनके जीवन में कोई महत्व नहीं होता।


महिमा राम की गाते है, छम छम नाच दिखाते है

हनुमान जी हर समय भगवान राम की महिमा का गान करते हैं। उनकी महिमा गाना केवल शब्दों का उच्चारण नहीं है, बल्कि एक दिव्य अनुष्ठान है। यह हमें सिखाता है कि जब हम ईश्वर के गुणों का गान करते हैं, तो हमारा हृदय पवित्र और आनंदमय हो जाता है।

यह भी जानें:  ना पुष्पों के हार ना सोने के दरबार भजन लिरिक्स - Na Pushpon Ke Haar Na Sone Ke Darbaar Bhajan Lyrics - Hinduism FAQ

“छम छम नाच दिखाते है” में उनकी भक्ति की एक अनूठी शैली प्रकट होती है। यह नृत्य एक साधना के समान है, जहां हनुमान जी अपनी पूरी ऊर्जा भगवान की सेवा और स्तुति में लगा देते हैं।


राम के बिना ये माला, तोड़ बिखराए रे

यह पंक्ति भक्ति की उस गहराई को दर्शाती है, जहां भक्त भगवान के बिना स्वयं को अधूरा महसूस करता है। “माला” भक्ति और ध्यान का प्रतीक है। राम नाम के बिना यह माला टूटकर बिखर जाती है, जो यह संदेश देती है कि ईश्वर की अनुपस्थिति में जीवन का कोई अर्थ नहीं है।


राम को दिल में बसा के, मुस्का के गुण गा के

हनुमान जी ने भगवान राम को अपने हृदय में बसाया है। यह उनकी निष्ठा और समर्पण का सबसे सुंदर उदाहरण है। राम को दिल में बसाने का अर्थ केवल उनकी छवि का ध्यान करना नहीं, बल्कि उनके आदर्शों को जीवन में उतारना है।

“मुस्का के गुण गा के” उनकी भक्ति का सहज और आनंदमय स्वरूप प्रस्तुत करता है। यह हमें यह सिखाता है कि भक्ति बोझिल नहीं होनी चाहिए, बल्कि उसमें आनंद और मुस्कान का समावेश होना चाहिए।


देखो राम को रिझाए, हनुमान सा दूजा ना है

यह पंक्ति हनुमान जी के अनन्य भक्त होने का प्रमाण है। उन्होंने अपने कार्यों और भक्ति से भगवान राम को प्रसन्न किया। यह केवल उनकी सेवा और शक्ति का परिणाम नहीं था, बल्कि उनकी सरलता, निष्ठा, और प्रेम का परिणाम था।

“हनुमान सा दूजा ना है” यह बताता है कि उनकी भक्ति अद्वितीय है। संसार में उनके जैसा दूसरा भक्त मिलना असंभव है।


निष्कर्ष

इस भजन का गहन अध्ययन हमें सिखाता है कि भक्ति केवल पूजा या ध्यान तक सीमित नहीं है। यह एक ऐसा मार्ग है जो हमें भगवान के प्रति पूर्ण समर्पण और निःस्वार्थ प्रेम की ओर ले जाता है। हनुमान जी की भक्ति से प्रेरणा लेकर हम भी अपने जीवन में भक्ति और सेवा के इन मूल्यों को अपना सकते हैं।

आगे की पंक्तियों की व्याख्या अगले भाग में जारी है…

अस्वीकरण (Disclaimer) : नुस्खे, योग, धर्म, ज्योतिष आदि विषयों पर HinduismFAQ में प्रकाशित/प्रसारित वीडियो, आलेख एवं समाचार सिर्फ आपकी जानकारी के लिए हैं। 'HinduismFAQ' इसकी कोई ज़िम्मेदारी नहीं लेती है।

प्रातिक्रिया दे

आपका ईमेल पता प्रकाशित नहीं किया जाएगा. आवश्यक फ़ील्ड चिह्नित हैं *

You may also like