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रामचंद्र कह गये सिया से ऐसा कलजुग आएगा भजन लिरिक्स – Ramchandra Kah Gaye Siya Se Aisa Kaljug Aayega Bhajan Lyrics – Hinduism FAQ

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  • – रामचंद्र और सिया के संवाद में कलयुग की विकृतियों का वर्णन है, जहां सत्य और धर्म का पतन होगा।
  • – कलयुग में लोग अपने माता-पिता का सम्मान नहीं करेंगे, बच्चे बड़ों को आँख दिखाएंगे।
  • – राजा और प्रजा के बीच संघर्ष और सत्ता की लड़ाई होगी, जो ताकतवर होगा वही विजेता होगा।
  • – समाज में भ्रष्टाचार, काला धन, और लोभ का बोलबाला होगा; भोगी जोगी कहलाएंगे।
  • – मंदिर खाली होंगे और मदिरालय भरे रहेंगे, कन्यादान का अर्थ भी भ्रष्ट हो जाएगा।
  • – मूर्खता, जुआ, बुरे संगत और कामवासना समाज को प्रभावित करेगी, और धर्म की असल भावना खो जाएगी।

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रामचंद्र कह गये सिया से,
हे रामचंद्र कह गये सिया से,
ऐसा कलजुग आएगा,

हंस चूगेगा दाना दुनका,
हंस चूगेगा दाना दुनका,

कव्वा मोती खाएगा।।



सिया ने पुछा –

कलजुग मे धरम करम को कोई नही मानेगा
तो प्रभु बोले –
धरम भी होगा, करम भी होगा
धरम भी होगा, करम भी होगा लेकिन शरम नही होगी
बात बात पे मात पिता को, बात बात पे मात पिता को,
बेटा आँख दिखाएगा,
हंस चूगेगा दाना दुनका, हंस चूगेगा दाना दुनका,
कव्वा मोती खाएगा।।



राजा और प्रजा दोनो मे

होगी निसदिन खेचातानी, खेचातानी
कदम कदम पर करेगे दोनो, अपनी अपनी माना मानी
जिसके हाथ मे होगी लाठी, जिसके हाथ मे होगी लाठी
भैस वही ले जाएगा,
हंस चूगेगा दाना दुनका, हंस चूगेगा दाना दुनका,
कव्वा मोती खाएगा।।



सुनो सिया कलजुग मे काला धन और,

काले मन होगे, काले मन होगे,
चोर उचक्के नगर सेठ और प्रभु भक्त,
निर्धन होगे, निर्धन होगे,
जो होगा लोभी और भोगी,
जो होगा लोभी और भोगी वो जोगी कहलाएगा,
हंस चूगेगा दाना दुनका, हंस चूगेगा दाना दुनका,
कव्वा मोती खाएगा।।

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मंदिर सुना सुना होगा भरी रहेगी मधुशाला,

हाँ मधुशाला
पीता के संग संग भरी सभा मे नाचेगी,
घर की बाला, घर की बाला
कैसा कन्यादान पिता ही,
कैसा कन्यादान पिता ही, कन्या का धन खाएगा,
हंस चूगेगा दाना दुनका, हंस चूगेगा दाना दुनका,
कव्वा मोती खाएगा।।



रामचंद्र कह गये सिया से

हे रामचंद्र कह गये सिया से ऐसा कलजुग आएगा,
हंस चूगेगा दाना दुनका, हंस चूगेगा दाना दुनका,
कव्वा मोती खाएगा।।



मूरखकी प्रीत बुरी जुए की जीत बुरी

बुरे संग बैठ बैठ भागे ही भागे
काजलकी कोठरी मे कैसे ही जतन करो
काजल का दाग भाई लागे ही लागे
कितना जती हो कोई कितना सती हो कोई
कामनी के संग काम जागे ही जागे
सुनो कहे गोपीराम जिसका है रामधाम
उसका तो फन्द गले लगे ही लगे
उसका तो फन्द गले लगे ही लगे।


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