- – यह भजन रानी और रावलमालजी के बीच के प्रेम और भक्ति भाव को दर्शाता है, जिसमें रानी हाथ में दीयों और थाल लेकर रावलमालजी का स्वागत करती है।
- – भजन में रानी के भजन और रामभक्ति का वर्णन है, जो मेवाड़ की संस्कृति और धार्मिकता को उजागर करता है।
- – रानी और राजा के बीच के आदर-सम्मान और धार्मिक कर्तव्यों का उल्लेख है, जिसमें राजा धर्म और न्याय का पालन करता है।
- – भजन में गुरु और प्रभु के प्रति सम्मान और भक्ति की भावना भी व्यक्त की गई है।
- – यह गीत मेवाड़ की पारंपरिक संस्कृति, धार्मिक आस्था और सामाजिक जीवन की झलक प्रस्तुत करता है।
- – गायक श्याम पालीवाल जी द्वारा प्रस्तुत यह भजन श्रवण सिंह राजपुरोहित द्वारा प्रेषित है।
राणी डावा हाथ में दीवलों जेलियो,
रावलमालजी कोपिया,
सुता महला जाए,
थाल लीणो रूपा हाथ में,
आ रावल मनावन जाए,
रूपा दे राणी रावल मनावन जाए।
राणी डावा हाथ में दीवलों जेलियो,
जीमने हाथ में जिम्वारो थाल,
रूपा रमझम करता,
महला पधारिया परा उठो मेवारा माल,
राणी रामरा भजन में,
हालो परनिया भवजल उतरो थितो पार।।
राणी उंगाना नराने सोरा जगावना,
जागताने जागे रावलमाल,
राणी पलक पसेडो रूपा खेसियो,
जियु जगाया वाचक नाग।।
राजा रेशम ताजनो लीणो हाथ में,
परू फेरियो राणी रे डील,
राणी थाल सोवणो रूपा पटकियो,
ज्यारी पोशी प्याला माय।।
रानी अमर ज्योत चढ़ी आकाशे,
पग पोशियो पियाला माय,
रूपा माथा कमल में ऊँचो देखियो,
तीन लोक मुखड़ा रे माय।।
रानी थारी कला ने परी सोमटो,
परा मरे मेवारा माल,
रानी रावल कॉपे थरथर धूजे,
भजो भजो हरी रा नाम।।
राजा सेधे सर्गे जग भेला रमिया,
हमी मिलो सर्गा रे माय,
राजा नेम धर्म सु हालो,
राजवी राज करो थे रावलमाल।।
रूपा गुरु उगमजी जग में भेटिया,
जाय मिलिया प्रभुसु आज,
रानी खम्मा माल ने अरे खम्मा,
करू रे खम्मा खम्मा जुगड़ा रे माय।।
राणी डावा हाथ में दीवलों जेलियो,
जीमने हाथ में जिम्वारो थाल,
रूपा रमझम करता,
महला पधारिया परा उठो मेवारा माल,
राणी रामरा भजन में,
हालो परनिया भवजल उतरो थितो पार।।
गायक – श्याम पालीवाल जी।
भजन प्रेषक – श्रवण सिंह राजपुरोहित।
सम्पर्क – +91 90965 58244