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रोज रोज तुम्हे क्या बतलाऊँ अपने मन की बात – Roj Roj Tumhe Kya Batlaun Apne Man Ki Baat – Hinduism FAQ

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  • – यह कविता एक भक्त की अपनी मन की बात और प्रार्थना को दर्शाती है, जो अपने इष्ट देव से निरंतर जुड़ा हुआ है।
  • – कवि अपने संकट और दुखों के बीच भगवान से मदद और क्षमा की विनती करता है।
  • – वह भगवान की करुणा और दया की आशा करता है, और उनसे अपने अपराधों को माफ करने की प्रार्थना करता है।
  • – कविता में भगवान को पिता और माता समान बताया गया है, जो भक्त की हर जरूरत पूरी करते हैं।
  • – यह अर्जी लगातार दोहराई जाती है, जिससे भक्त की श्रद्धा और विश्वास की गहराई प्रकट होती है।
  • – अंत में, कवि भगवान से अपने विनम्र निवेदन को स्वीकार करने की गुजारिश करता है।

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रोज रोज तुम्हे क्या बतलाऊँ,
अपने मन की बात,
छोटी सी अर्जी मेरी,
अब तो सुनो हे नाथ।।

तर्ज – घणी दूर से दोड़्यो।



कब से तुम्हे पुकार रहा है दास तेरा,

तुम आओगे ये पक्का विश्वास मेरा,
तेरे भरोसे काट रहा हूँ,
संकट के दिन रात,
छोटी सी अर्जी मेरी,
अब तो सुनो हे नाथ।।



तेरी बाँट निहार रही अँखियाँ मेरी,

अंतर्यामी श्याम लगाई क्यों देरी,
क्षमा करो हे दीनदयालु,
मेरे सब अपराध,
छोटी सी अर्जी मेरी,
अब तो सुनो हे नाथ।।



नजर दया की कर दो,

हे करुणा सागर,
करता हूँ अरदास,
संभालो अब आकर,
बीत गई सो बात गई,
अब रख दो सर पर हाथ,
छोटी सी अर्जी मेरी,
अब तो सुनो हे नाथ।।



‘बिन्नू’ की अर्जी को अब,

स्वीकार करो,
दास हूँ तेरा मुझको मत इंकार करो,
तुम ही मेरे इष्ट देव हो,
तुम ही हो पित मात,
छोटी सी अर्जी मेरी,
अब तो सुनो हे नाथ।।

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रोज रोज तुम्हे क्या बतलाऊँ,

अपने मन की बात,
छोटी सी अर्जी मेरी,
अब तो सुनो हे नाथ।।

Singer : Sunil Sharma


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