- – कविता में प्रेमी अपनी प्रिय की याद में गहरे दुःख और तड़प को व्यक्त करता है।
- – आँखें झुकी-झुकी रोना और हिचकियाँ आना भावनात्मक पीड़ा को दर्शाता है।
- – बिना प्रिय के जीवन वीरान और आशाहीन महसूस होता है।
- – प्रिय की अनुपस्थिति में दिल दुखी और अकेला रहता है।
- – प्रेमी की तिरछी अदा पर दिल कुर्बान हो गया और वह प्रिय की शरण में इंसानियत पा गया।
- – समग्र रूप से, कविता प्रेम की गहराई और यादों की व्यथा को सुंदरता से प्रस्तुत करती है।
रोती है तेरी याद में,
आँखे झुकी झुकी,
रोती है तेरी याद मे,
आँखे झुकी झुकी,
आती है हिचकियों से,
ये सांसे रुकी रुकी,
रोती है तेरी याद मे,
आँखे झुकी झुकी।।
तर्ज – मिलती है जिंदगी में।
क्या ये अजीब बात है,
तुमको खबर नहीं,
तेरे बिना ओ साँवरे,
मेरी गुजर नहीं,
लगती वीरानियों में,
आशा थकी थकी,
रोती है तेरी याद मे,
आँखे झुकी झुकी।।
तुम जानते हो फिर भी क्यूँ,
अनजान बन गए,
किस अजनबी के आज तुम,
मेहमान बन गए,
दर्शन बगैर दिल मेरा,
रहता दुखी दुखी,
रोती है तेरी याद मे,
आँखे झुकी झुकी।।
तिरछी अदा पे दिल मेरा,
कुर्बान हो गया,
तेरी शरण में आके मैं,
इंसान हो गया,
हर वक्त तेरी याद में,
‘काशी’ रहे सुखी,
रोती है तेरी याद मे,
आँखे झुकी झुकी।।
रोती है तेरी याद में,
आँखे झुकी झुकी,
रोती है तेरी याद मे,
आँखे झुकी झुकी,
आती है हिचकियों से,
ये सांसे रुकी रुकी,
रोती है तेरी याद मे,
आँखे झुकी झुकी।।