- – यह गीत भगवान गणेश की स्तुति और उनकी महिमा का वर्णन करता है, जिन्हें संकट हरने वाला और विघ्नों को दूर करने वाला माना गया है।
- – गणेश जी को “गौरा दुलारे”, “शम्भू पियारे” और “संकट हरण विघ्नेश” के रूप में संबोधित किया गया है।
- – गीत में गणपति की पूजा और उनके मंदिरों की भव्यता का उल्लेख है, जहाँ भक्तों की भीड़ उमड़ती है।
- – गणेश जी को रिद्धि-सिद्धि के दाता और मंगल के प्रदाता के रूप में पूजा जाता है।
- – गीत में भक्तों के कलेश हरने और उनकी मनोकामनाएँ पूरी करने की प्रार्थना की गई है।
- – यह गीत गणेश चतुर्थी जैसे पर्वों पर भगवान गणेश की आराधना और भक्ति को प्रोत्साहित करता है।
सबसे पहले मनाऊँ मैं गणेश,
हरो जी हरो,
हरलो भक्तो के कलेश।।
श्लोक – बंदगी गणराज को,
गौरा दुलारे को करूँ,
संकट हरण विघ्नेश को,
शम्भू पियारे को करूँ।
सबसे पहले मनाऊँ मैं गणेश,
हरो जी हरो,
हरलो भक्तो के कलेश,
हरो जी हरो,
हरलो भक्तो के कलेश।।
खजराने में आप विराजे,
मंदिर गणपति चम चम साजे,
गौरा माता पिताजी हैं महेश,
हरो जी हरो,
हरलो भक्तो के कलेश,
हरो जी हरो,
हरलो भक्तो के कलेश।।
बड़े गणपति शान निराली,
झोली भरते सबकी खाली,
रिद्धि सिद्धि रहे संग हमेश,
हरो जी हरो,
हरलो भक्तो के कलेश,
हरो जी हरो,
हरलो भक्तो के कलेश।।
भीड़ लगी उज्जैन में भारी,
चिंतामन जयकार तुम्हारी,
नाम गणपति का देश विदेश,
हरो जी हरो,
हरलो भक्तो के कलेश,
हरो जी हरो,
हरलो भक्तो के कलेश।।
विघ्न हरण मंगल के दाता,
जग के प्रेमी भाग्य विधाता,
सुनलो सुनलो हमारा सन्देश,
हरो जी हरो,
हरलो भक्तो के कलेश,
हरो जी हरो,
हरलो भक्तो के कलेश।।
सबसे पहले मनाऊँ मैं गणेश,
हरो जी हरो,
हरलो भक्तो के कलेश,
हरो जी हरो,
हरलो भक्तो के कलेश।।
Video Not Available..
