- – पूर्वजों के प्रति सच्ची श्रद्धा और भक्ति से जीवन में सुख-शांति और सम्मान प्राप्त होता है।
- – पितृ देवों की कृपा से भाग्य के दरवाजे खुलते हैं और जीवन में सकारात्मक बदलाव आते हैं।
- – पितृपक्ष में अपने पूर्वजों को याद करना और उनकी पूजा करना आवश्यक है, जिससे परिवार में समृद्धि आती है।
- – यदि पितरों को दुख होता है तो परिवार में दुःख और समस्याएं बनी रहती हैं, इसलिए क्षमा मांगना और उनका सम्मान करना चाहिए।
- – पूर्वजों की कृपा से बिना मांगे भी समाज में सम्मान और सफलता मिलती है।
- – पितृ देवों का गुणगान और श्रद्धा से उनका आशीर्वाद प्राप्त होता है, जो जीवन को सुखमय बनाता है।

सच्चे मन से पूर्वजो पे,
श्रद्धा दिखाइये,
अपने पित्रों का पावन,
वरदान पाइये,
पित्र खुश होंगे तो,
दुखड़े मिट जाएंगे,
बिन मांगे ही जग में,
सम्मान पाइये।।
तर्ज – आ गए गणपति जी।
कहते है पूर्वजो की,
कृपा जब मिले,
सोई तक़दीर के,
दरवाजे खुले,
चरणों में उनके,
भक्ति से सर झुकाइये,
बिन मांगे ही जग में,
सम्मान पाइये।।
पितृ देवो भवः,पितृ देवो भवः।
पितृ देवो भवः,पितृ देवो भवः।
अपने पितरो को जो,
याद करते यहाँ,
पूर्वजो की दया से,
फलते फूलते यहाँ,
पितृ देवता है उनका,
गुणगान गाइये,
बिन मांगे ही जग में,
सम्मान पाइये।।
पितृ जिसके दुखी,
हो भटके यहाँ,
उनके परिवार दुःख में,
ही रहते यहाँ,
हाथ जोड़ पितृपक्ष में,
क्षमा मांगिये,
बिन मांगे ही जग में,
सम्मान पाइये।।
सच्चे मन से पूर्वजो पे,
श्रद्धा दिखाइये,
अपने पित्रों का पावन,
वरदान पाइये,
पित्र खुश होंगे तो,
दुखड़े मिट जाएंगे,
बिन मांगे ही जग में,
सम्मान पाइये।।
स्वर – प्रेम प्रकाश जी दुबे।
