- – यह गीत श्री कृष्ण के दर्शन की खुशी और भक्ति का वर्णन करता है, जिसमें सखियों को नंद के द्वार पर जाकर लाला (श्री कृष्ण) के दर्शन करने का निमंत्रण दिया गया है।
- – यशोदा के घर में लाला के आगमन से आनंद और मंगल छा गया है, जो सभी भक्तों के मन को भा गया है।
- – चंद्रवंश का उजियारा फैल गया है, दुख और अंधकार मिट गए हैं, जिससे जीवन में सुख और भाग्य जागृत हुआ है।
- – त्रिभुवन में जो सुख नहीं मिला, वह ब्रज की गलियों में श्री कृष्ण के दर्शन से प्राप्त हो गया है, जिससे ब्रज के रसिक भक्त आनंदित हैं।
- – पूरे गीत में श्री कृष्ण के दर्शन को जीवन का सार और सबसे बड़ा सौभाग्य बताया गया है, जो सभी भक्तों के लिए मंगलकारी है।

सखि चलो नंद के द्वार,
ओ द्वार,
लाला के दर्शन कर आवें,
लाला के दर्शन कर आवें।।
यशोदा ने लाला जायो है,
यशोदा ने लाला जायो है,
घर-घर में आनंद छायो है,
घर-घर में आनंद छायो है,
सब भक्तन के मन भायो है,
सब भक्तन के मन भायो है,
मिल गाओ मंगलाचार,
ओ चार,
लाला के दर्शन कर आवें,
लाला के दर्शन कर आवें।।
भयौ चंद्रवंश उजियारौ है,
भयौ चंद्रवंश उजियारौ है,
मिट गयौ दुखद अँधियारौ है,
मिट गयौ दुखद अँधियारौ है,
आज जागौ भाग हमारौ है,
आज जागौ भाग हमारौ है,
मिल्यौ आज जन्म कौ सार,
ओ सार,
लाला के दर्शन कर आवें,
लाला के दर्शन कर आवें।।
जो मिलौ नहीं सुख त्रिभुवन में,
जो मिलौ नहीं सुख त्रिभुवन में,
वो विखर रह्यौ ब्रज गलियां में,
वो विखर रह्यौ ब्रज गलियां में,
मच रही लूट ब्रज रसिकन में,
मच रही लूट ब्रज रसिकन में,
लुट गयौ कुंवर मझधार,
ओ धार,
लाला के दर्शन कर आवें,
लाला के दर्शन कर आवें।।
सखि चलो नंद के द्वार,
ओ द्वार,
लाला के दर्शन कर आवें,
लाला के दर्शन कर आवें।।
प्रेषक – रवि कान्त शास्त्री
7017353139
