- – यह गीत फागुन के त्योहार और होली के रंगों की बात करता है, जिसमें गोकुल के जादूगर की छवि प्रस्तुत की गई है।
- – गोकुल का जादूगर अपने पिचकारी से तन-मन को रंगों से भर देता है, जो सभी से अलग और खास है।
- – गीत में कृष्ण की नटखट मुस्कान और प्रेम के रंगों में डूबने की बात कही गई है।
- – गोकुल के ग्वालों की टोली होली के उत्सव में यमुना के किनारे मिलकर रंगों का आनंद लेती है।
- – यह गीत प्रेम, उल्लास और रंगों की मस्ती को दर्शाता है, जो फागुन के महीने में छुपकर मनाई जाती है।

सखी छुप के रहना फागुण में,
एक जादूगर है गोकुल में।।
तर्ज – कान्हा आन बसों वृन्दावन में।
उसके हाथों में पिचकारी,
जो सारे जगत से है न्यारी,
रंग दे तन मन जो इक पल में,
एक जादूगर है गोकुल में,
सखी छुप के रहना फागुण मे,
एक जादूगर है गोकुल में।।
उसका रंग दुनिया में सबसे चटक,
रंगता है मुस्काके नटखट,
वो माहिर है अपने छल में,
एक जादूगर है गोकुल में,
सखी छुप के रहना फागुण मे,
एक जादूगर है गोकुल में।।
जो उसके रंग में रंग जाए,
कुछ और उसे ना नजर आए,
फांसे वो प्रेम के दलदल में,
एक जादूगर है गोकुल में,
सखी छुप के रहना फागुण मे,
एक जादूगर है गोकुल में।।
जो उसके हाथों में आ जाए,
सुधबुध अपनी बिसरा जाए,
रंग जाए सलोने सांवल में,
एक जादूगर है गोकुल में,
सखी छुप के रहना फागुण मे,
एक जादूगर है गोकुल में।।
उसके संग ग्वालों की टोली है,
जो शोर मचाए होली है,
यमुना के किनारे जंगल में,
एक जादूगर है गोकुल में,
सखी छुप के रहना फागुण मे,
एक जादूगर है गोकुल में।।
सखी छुप के रहना फागुण में,
एक जादूगर है गोकुल में।।
Singer : Anjali Jain
