- – यह गीत सालासर के मंदिर में भक्त बावरो के नाचने और भक्ति भाव को दर्शाता है।
- – राम नाम के हीरे मोती की तर्ज पर लिखा गया यह गीत भक्ति और आनंद से भरा हुआ है।
- – गीत में राम और हनुमान की महिमा का वर्णन है, जो भक्तों को मस्ती और भक्ति में डूबने के लिए प्रेरित करता है।
- – भक्तों से आग्रह किया गया है कि वे भी नाचें और अपने चालीसे (भक्ति ग्रंथ) का पाठ करें।
- – बालाजी (हनुमान जी) से विनती की गई है कि वे भक्तों की सुनें और उनकी मनोकामनाएं पूरी करें।
- – गीत में सालासर मंदिर की पावनता और वहां की भक्ति परंपरा की महत्ता को उजागर किया गया है।

सालासर के मंदिर में यो,
भगत बावरो नाचे रे,
आप भी नाचे और नचावे,
थारो चालीसो बांचे रे।।
तर्ज – राम नाम के हीरे मोती।
भोलो भालो जाट को छोरो,
रूप गजब को ढायो रे,
सालासर में यूँ लागे,
ज्यूँ अंजनी लालो आयो रे,
लाल लंगोटो हाथा में घोटो,
पगा में घुंघरू बाजे रे,
आप भी नाचे और नचावे,
थारो चालीसो बांचे रे।
सालासर के मन्दिर में यो,
भगत बावरो नाचे रे,
आप भी नाचे और नचावे,
थारो चालीसो बांचे रे।।
राम ने भजतो छम छम करतो,
थाने लाड़ लडावे रे,
मस्त मगन हो मस्ती में,
थारा ही गुण गावे रे,
जयकारा से गूंजे मंदिर,
बेगो बेगो आजे रे,
आप भी नाचे और नचावे,
थारो चालीसो बांचे रे।
सालासर के मन्दिर में यो,
भगत बावरो नाचे रे,
आप भी नाचे और नचावे,
थारो चालीसो बांचे रे।।
ज्यूँ लंका में कुद्यो हनुमत,
कुद्यो अंगना थारे रे,
झटपट यो युक्ति ने लगावे,
सामने बैठ के थारे रे,
अष्ट सिध्धि नवनिधि का बाबा,
नैया पार लगा जे रे,
आप भी नाचे और नचावे,
थारो चालीसो बांचे रे।
सालासर के मन्दिर में यो,
भगत बावरो नाचे रे,
आप भी नाचे और नचावे,
थारो चालीसो बांचे रे।।
सब भक्ता की विनती सुनलो,
बालाजी थारो ध्यान धरो,
चुरमो ल्यायो लाडू ल्यायो,
जो बने यो स्वीकार करो,
‘सज्जन’ बाबो भाव को भूखो,
सालासर में विराजे रे,
आप भी नाचे और नचावे,
थारो चालीसो बांचे रे।
सालासर के मन्दिर में यो,
भगत बावरो नाचे रे,
आप भी नाचे और नचावे,
थारो चालीसो बांचे रे।।
सालासर के मंदिर में यो,
भगत बावरो नाचे रे,
आप भी नाचे और नचावे,
थारो चालीसो बांचे रे।।
स्वर – दीपक गर्ग।
