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- – यह भजन सालासर वाले अंजनी लाल जी की महिमा का वर्णन करता है, जो भक्तों की मनोकामनाएं पूरी करते हैं।
- – भक्त दूर-दूर से पैदल यात्रा करके सालासर वाले के दर्शन करते हैं और भोग चढ़ाते हैं।
- – भजन में सालासर वाले के मंदिर की भव्यता का उल्लेख है, जहां सूरज स्वामी देवता की पूजा होती है और ध्वजा आसमान में लहराती है।
- – झांझ और नगाड़े की ध्वनि से मंदिर में उत्सव का माहौल होता है, और भक्त चूरमो और सिंदूर चढ़ाते हैं।
- – यह भजन श्रद्धा और भक्ति की भावना को प्रकट करता है, जो सालासर वाले के प्रति गहरी आस्था दर्शाता है।

सालासर वाला रे ओ अंजनी रा लाला रे,
ज़पु थारी माली रे सालासर वाला रे,
पैदल आवे रे ओ दर्शन पावे रे जे।
बिगड़ा तू तो काज बनावे,
सालासर वाला रे,
दूर दूर से आवे थारे जात्रो।
भोग लगावे रे जडूला चढ़ावे रे,
भोग लगावे रे दर्शन पावे रे,
सालासर वाला रे ओ अंजनी लाला रे,
ज़पु थारी माली रे सालासर वाला रे।
सूरज स्वामी देवरो थारी,
ध्वजा फरूखे आसमान रे,
झाझ ने नगाड़ा बाजे द्वार रे।
चूरमो लावे रे ओ भोग लगावे रे,
चूरमो लावे रे ओ सिंदूर चढ़ावे रे,
सालासर वाला रे ओ अंजनी रा लाला रे,
ज़पु थारी माली रे सालासर वाला रे।
सालासर वाला रे ओ अंजनी रा लाला रे,
ज़पु थारी माली रे सालासर वाला रे,
पैदल आवे रे ओ दर्शन पावे रे जे।
“भजन नवरतन जी पारीक द्वारा प्रेषित”
अस्वीकरण (Disclaimer) : नुस्खे, योग, धर्म, ज्योतिष आदि विषयों पर HinduismFAQ में प्रकाशित/प्रसारित वीडियो, आलेख एवं समाचार सिर्फ आपकी जानकारी के लिए हैं। 'HinduismFAQ' इसकी कोई ज़िम्मेदारी नहीं लेती है।
