- – यह भजन भगवान श्रीकृष्ण (सलोने सांवरे मोहन) की याद और प्रेम भावनाओं को दर्शाता है।
- – भजन में यमुना किनारे, सावन के झूले, मुरली की तान और मधुबन की सुंदरता का उल्लेख है।
- – भजनकार रजनी आनंद ने भगवान कृष्ण के प्रति अपनी भक्ति और मिलन की लालसा व्यक्त की है।
- – भजन में कृष्ण की दया, बचाव और प्रेम की भावनाओं को सुंदर शब्दों में प्रस्तुत किया गया है।
- – यह भजन श्रोताओं को आध्यात्मिक शांति और प्रेम की अनुभूति कराता है।

सलोने सांवरे मोहन,
तुम्हे मन याद करता है,
चले आओ जहाँ हो तुम,
मिलन को मन तरसता है।।
तर्ज – बेदर्दी बालमा तुझको मेरा मन।
कभी हम साथ खेले थे,
यही यमुना किनारो में,
कभी झूले थे संग तेरे,
वो सावन के फुहारों में,
वही सावन वही झूले,
ये मधुवन याद करता है,
सलोने साँवरे मोहन,
तुम्हे मन याद करता है।।
मेरा मन चैन छीना है,
तेरी मुरली की तानो ने,
बहुत ढूंढा मिले ना तुम,
मिलन के हर ठिकानो में,
वही पनघट वही राहे,
ये कदम्ब याद करता है,
सलोने साँवरे मोहन,
तुम्हे मन याद करता है।।
इंद्र बरसा था बन बादल,
बचाया सबको था तुमने,
मेरे बरसे जो ये नैना,
तरस ना खाया क्यों तुमने,
मेरे आंसू मेरी धड़कन,
ये दिल फरियाद करता है,
सलोने साँवरे मोहन,
तुम्हे मन याद करता है।।
सुनके विनती ये ‘रजनी’ की,
रोशन चाँद सितारे है,
तेरे बिन श्याम मधुबन के,
फीके ये नज़ारे है,
सुना है मन का आंगन भी,
‘निरंजन’ याद करता है,
सलोने साँवरे मोहन,
तुम्हे मन याद करता है।।
सलोने सांवरे मोहन,
तुम्हे मन याद करता है,
चले आओ जहाँ हो तुम,
मिलन को मन तरसता है।।
भजन प्रेषक तथा गायिका,
रजनी आनंद,
Ph. 9971551057,
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