- – यह गीत एक भक्त की भावनाओं को दर्शाता है, जो अपने सांवरे (भगवान) के घर आने की प्रतीक्षा कर रहा है।
- – भक्त अपने प्रभु के दर्शन की तीव्र इच्छा व्यक्त करता है और बार-बार उनसे मिलने का आग्रह करता है।
- – गीत में भक्त की भक्ति, समर्पण और प्रेम की गहराई स्पष्ट रूप से झलकती है।
- – भक्त अपने आंसुओं और उम्मीदों के साथ प्रभु के आने का इंतजार करता है, जिससे उसकी आस्था प्रबल होती है।
- – यह गीत सांस्कृतिक और धार्मिक भावनाओं से ओत-प्रोत है, जो राजस्थान की लोकभक्ति परंपरा को दर्शाता है।
- – लेखक प्रमोद जी चोखानी और स्वर गौतम राठौर द्वारा प्रस्तुत यह गीत भक्तिमय संगीत का सुंदर उदाहरण है।

सांची सांची बोल सांवरा,
म्हारे घरा कदे आवेगों,
पलक बिछाया बैठयाँ मैं तो,
पलक बिछाया बैठयाँ मैं तो,
कदसु दर्श दिखावेगो,
साँची साँची बोल सांवरा,
म्हारे घरा कदे आवेगों।।
तर्ज – मैं हूँ तेरा नौकर बाबा।
मिलवा की, म्हारे मन में आवे,
लीले चढ़ कर आजाओ,
टाबरिया, मनुहार करे है,
प्यारी सुरतिया दिलखलाओ,
म्हे तो उडीका, बाट तिहारी,
कितनो तू तरसावेगो,
साँची साँची बोल सांवरा,
म्हारे घरा कदे आवेगों।।
खाटू तो, मैं आता जाता,
दर्शन तेरा पावा जी,
म्हारी कुटिया, में सांवरिया,
तेरा चरण म्हे चावा जी,
आवेगो तू, फेर तो म्हाने,
चरणा सु लिपटावेगो,
साँची साँची बोल सांवरा,
म्हारे घरा कदे आवेगों।।
आंख्या माहि, आंसुड़ा भी,
थारो रस्तो देख रह्या,
थे आवो तो, ख़ुशी में आंसू,
ढल जावे म्हे सोच रह्या,
इब तो बाबा, मान ले कहनो,
कितनो नखरो दिखावेगो,
साँची साँची बोल सांवरा,
म्हारे घरा कदे आवेगों।।
थारो म्हारो, गठजोड़ो है,
‘गौतम’ थारो चाकर जी,
‘चोखानी’, केवे म्हारे सिर पे,
हाथ फेरो आकर जी,
आणो जाणो, करले बाबा,
के तेरो घट जावेगो,
साँची साँची बोल सांवरा,
म्हारे घरा कदे आवेगों।।
सांची सांची बोल सांवरा,
म्हारे घरा कदे आवेगों,
पलक बिछाया बैठयाँ मैं तो,
पलक बिछाया बैठयाँ मैं तो,
कदसु दर्श दिखावेगो,
साँची साँची बोल सांवरा,
म्हारे घरा कदे आवेगों।।
स्वर – गौतम राठौर।
लेखक – प्रमोद जी चोखानी।
