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- – यह गीत संतों की सेवा और उनके प्रति श्रद्धा व्यक्त करता है, जो घर को सुंदर और पवित्र बनाती है।
- – सतगुरु के आगमन का वर्णन है, जो मन को शुद्ध और चंदन तिलक जैसा बनाता है।
- – सात सखियों के साथ मिलकर मंगल गीत गाने और सत्संग का आनंद लेने का आग्रह किया गया है।
- – भोजन और सेवा की तैयारी का उल्लेख है, जो भावपूर्ण और प्रेम से किया जाना चाहिए।
- – संतों की उपस्थिति से जीवन में सुधार और पापों का नाश होता है, वे अवतार लेकर भक्तों की रक्षा करते हैं।
- – गीत में संतों की सेवा को घर की सुंदरता और शांति का कारण बताया गया है।

संता की सेवा करज्यो ये,
घर कि सुन्दर नार।
दोहा – सतगुरू आया है सखी,
काई मनवार करा,
चोक पुरावु गज मोतिया,
मैं चंदन तिलक करा।
संता की सेवा करज्यो ये,
घर कि सुन्दर नार,
घर कि सुन्दर नार सुरता,
घर कि सुन्दर नार।।
संता पधारिया पांवणा जी,
जाजम दिज्यो ढाल,
सात सखिया मिलकर,
थे गावो मंगला चार।।
खिर खाढरा अरमत भोजन,
जल्दी करो तैयार,
भाव रूपी ढोलो बायरो,
कर कर मन प्यार।।
माधु सिंह जी कोप करयो जद,
बाजेली तलवार,
जिवाला तो फेर मिलाला,
सायब के दरबार।।
संत उबारण त्यारण कारण,
लेलिनो अवतार,
सेन भक्त का सासा मेटिया,
नाय बणो करतार।।
संता की सेवा करजो ये,
घर कि सुन्दर नार,
घर कि सुन्दर नार सुरता,
घर कि सुन्दर नार।।
गायक – मनोहर परसोया किशनगढ।
अस्वीकरण (Disclaimer) : नुस्खे, योग, धर्म, ज्योतिष आदि विषयों पर HinduismFAQ में प्रकाशित/प्रसारित वीडियो, आलेख एवं समाचार सिर्फ आपकी जानकारी के लिए हैं। 'HinduismFAQ' इसकी कोई ज़िम्मेदारी नहीं लेती है।
