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सांवरा जब मेरे साथ है,
हमको डरने की क्या बात है ।
इसके रहते कोई कुछ कहे,
बोलो किसकी यह औकात है ॥

छाये काली घटाए तो क्या,
इसकी छतरी के नीचे हूँ मैं ।
आगे आगे यह चलता मेरे,
मेरे मालिक के पीछे हम मैं ।
इसने पकड़ा मेरा हाथ है,
मुझको डरने की क्या बात है ॥

इसकी महिमा का वर्णन करू,
मेरी वाणी में वो दम नहीं ।
जब से इसका सहारा मिला
फिर सताए कोई गम नहीं ।
बाबा करता करामत है
हमको डरने की क्या बात है ॥

क्यों मैं भटकू यहाँ से वहां
इसके चरणों में है बैठना ।
झूठे स्वार्थ के रिश्ते सभी,
कहना से है रिश्ता बना ।
ये करता मुलाकात है,
हमको डरने की क्या बात है ॥

जहां आनद की लगती झड़ी,
ऐसी महफ़िल सजता है ये ।
‘बिन्नू’ क्यों ना दीवाना बने,
ऐसे जलवे दिखता है ये ।
दिल चुराने में विख्यात है,
हमको डरने की क्या बात है ॥

सांवरा जब मेरे साथ है – भजन का गहन अर्थ और व्याख्या

यह भजन भगवान कृष्ण के प्रति एक भक्त की गहरी भक्ति, अडिग विश्वास और समर्पण का प्रतीक है। हर पंक्ति में जीवन के आध्यात्मिक पहलुओं और सांसारिक चिंताओं के समाधान की झलक है। इसमें भक्त अपने जीवन के हर पहलू को भगवान कृष्ण से जोड़ता है, जो मानव जीवन में ईश्वर के साथ संबंध की व्याख्या करता है। आइए इसे गहराई से समझें।


सांवरा जब मेरे साथ है, हमको डरने की क्या बात है

गहरी व्याख्या:
यह पंक्ति केवल एक साधारण आत्मविश्वास नहीं है, बल्कि यह उस विश्वास का प्रतीक है जो एक भक्त को भगवान के साथ रहने पर मिलता है।

  • “सांवरा”: कृष्ण का सजीव चित्रण, जो उनके सांवले रंग से अधिक उनके हृदय की कोमलता और करुणा को दर्शाता है।
  • “डरने की क्या बात”: सांसारिक समस्याओं और भय को तुच्छ मानने की सीख। यह दर्शाता है कि भगवान के सान्निध्य में सभी संकट व्यर्थ हो जाते हैं।

यह भक्ति के उच्चतम स्तर का उदाहरण है, जहाँ भक्त के लिए कृष्ण के साथ होने का अर्थ है असीम शांति और सुरक्षा।


इसके रहते कोई कुछ कहे, बोलो किसकी यह औकात है

गहरी व्याख्या:
यह पंक्ति भगवान के सर्वशक्तिमान स्वरूप को दर्शाती है।

  • “औकात”: दुनिया की नकारात्मकता, आलोचना या ताकतें भक्त को प्रभावित नहीं कर सकतीं।
  • भगवान के संरक्षण में भक्त हर किसी से ऊपर उठ जाता है। यह “आध्यात्मिक अभेद्यता” का उदाहरण है, जिसमें बाहरी शक्तियाँ भक्त के विश्वास को हिला नहीं सकतीं।

छाये काली घटाए तो क्या, इसकी छतरी के नीचे हूँ मैं

गहरी व्याख्या:
यह पंक्ति जीवन में आने वाली कठिनाइयों और उनके समाधान का प्रतीक है।

  • “काली घटाएँ”: समस्याओं और संकटों का रूपक।
  • “छतरी”: भगवान की कृपा, जो हर तूफान से बचाती है।

यह भक्त की इस समझ को उजागर करता है कि कठिनाइयाँ जीवन का हिस्सा हैं, लेकिन भगवान के सहारे वे उसका कुछ भी नहीं बिगाड़ सकतीं।


आगे आगे यह चलता मेरे, मेरे मालिक के पीछे हूँ मैं

गहरी व्याख्या:
यह पंक्ति भगवान के मार्गदर्शन और भक्त के समर्पण को दर्शाती है।

  • “आगे आगे यह चलता”: भगवान का नेतृत्व, जो भक्त को सही राह दिखाता है।
  • “मालिक के पीछे”: समर्पण का गहन भाव, जहाँ भक्त ने अपने अहंकार और आत्मनिर्भरता को त्याग दिया है।

यह इस विचार को पुष्ट करता है कि जीवन की राह में भगवान ही मार्गदर्शक हैं और उनका अनुसरण करते हुए भक्त सुरक्षित है।


इसने पकड़ा मेरा हाथ है, मुझको डरने की क्या बात है

गहरी व्याख्या:

  • “पकड़ा मेरा हाथ”: भगवान की कृपा और आत्मीयता। यह केवल शाब्दिक नहीं, बल्कि आध्यात्मिक सहारा है।
  • जब भगवान किसी का हाथ पकड़ते हैं, तो इसका मतलब है कि वे व्यक्ति के कर्म, मन और आत्मा को भी मार्गदर्शित कर रहे हैं।

यह भक्त को हर प्रकार की मानसिक और आध्यात्मिक उलझनों से बाहर लाने की शक्ति को दर्शाता है।


इसकी महिमा का वर्णन करू, मेरी वाणी में वो दम नहीं

गहरी व्याख्या:

  • यह पंक्ति भक्ति के चरम पर पहुंचने के बाद की अनुभूति है।
  • भक्त महसूस करता है कि भगवान की महिमा को व्यक्त करने के लिए भाषा अपर्याप्त है।
  • “वाणी में दम नहीं”: ईश्वर की असीम शक्तियों और उनके कार्यों को किसी भी प्रकार से सीमित करना असंभव है।

यह दर्शाता है कि भगवान की महिमा केवल अनुभव की जा सकती है, उसका पूरा वर्णन शब्दों से परे है।


जब से इसका सहारा मिला, फिर सताए कोई गम नहीं

गहरी व्याख्या:

  • “सहारा”: जीवन की यात्रा में भगवान का स्थायी समर्थन।
  • यह बताता है कि ईश्वर का सहारा मिलने के बाद व्यक्ति की मानसिक स्थिति में परिवर्तन होता है। समस्याएँ वैसी ही रहती हैं, लेकिन दृष्टिकोण बदल जाता है।
  • भगवान के प्रति पूर्ण विश्वास हर दुख को आनंद में बदल देता है।

बाबा करता करामत है, हमको डरने की क्या बात है

गहरी व्याख्या:

  • “करामत”: चमत्कार, लेकिन इसे केवल बाहरी घटनाओं के संदर्भ में न समझें।
  • यह चमत्कार भक्त के जीवन में सकारात्मक बदलाव है, जैसे मन की शांति, भक्ति में वृद्धि, और सांसारिक बंधनों से मुक्ति।

यह जीवन के आध्यात्मिक स्तर पर बदलाव का प्रतीक है, जहाँ हर चीज़ में ईश्वर का करुणा भरा स्पर्श दिखाई देता है।


क्यों मैं भटकू यहाँ से वहां, इसके चरणों में है बैठना

गहरी व्याख्या:

  • “भटकू”: मानव जीवन में एक सामान्य स्थिति है – मोह, माया और भ्रम।
  • “चरणों में बैठना”: आत्मसमर्पण का उच्चतम स्तर। यह सिखाता है कि आत्मिक संतोष केवल भगवान के चरणों में ही पाया जा सकता है।

यह पंक्ति एक महत्वपूर्ण संदेश देती है: ईश्वर के साथ जुड़कर व्यक्ति माया के भ्रम और अस्थायी सुखों से बच सकता है।


झूठे स्वार्थ के रिश्ते सभी, कहना से है रिश्ता बना

गहरी व्याख्या:

  • यह सांसारिक रिश्तों की क्षणभंगुरता और उनके पीछे छिपे स्वार्थों को उजागर करता है।
  • “कहना से रिश्ता”: केवल भगवान के साथ रिश्ता शुद्ध और स्वार्थरहित होता है।

यह पंक्ति दर्शाती है कि सच्चे रिश्ते वे हैं जो आध्यात्मिक आधार पर बने होते हैं।


ये करता मुलाकात है, हमको डरने की क्या बात है

गहरी व्याख्या:

  • भगवान से “मुलाकात” का अर्थ है – ध्यान, प्रार्थना, और भक्ति के माध्यम से उनके साथ गहरा संबंध।
  • यह भक्त को विश्वास दिलाता है कि भगवान सदा उसके साथ हैं।

जहां आनंद की लगती झड़ी, ऐसी महफ़िल सजता है ये

गहरी व्याख्या:

  • भगवान जहाँ होते हैं, वहाँ आनंद और प्रेम स्वाभाविक रूप से उपस्थित होते हैं।
  • “महफ़िल सजता है”: कृष्ण की उपस्थिति से जीवन में दिव्यता और उत्सव का माहौल बनता है।

‘बिन्नू’ क्यों ना दीवाना बने, ऐसे जलवे दिखता है ये

गहरी व्याख्या:

  • भक्त ‘बिन्नू’ यहाँ अपने अनुभव को व्यक्त करता है।
  • कृष्ण की दिव्यता और उनके अनोखे स्वरूप ने उसे पूर्णतः मोहित कर दिया है।

दिल चुराने में विख्यात है, हमको डरने की क्या बात है

गहरी व्याख्या:

  • “दिल चुराने”: भगवान का भक्त के मन पर अद्भुत प्रभाव, जो उसे सांसारिक बंधनों से मुक्त कर देता है।
  • यह बताता है कि कृष्ण की मोहकता केवल भौतिक नहीं है, बल्कि उनकी आध्यात्मिक ऊर्जा से भक्त का हृदय पूरी तरह बदल जाता है।

यह भजन केवल एक स्तुति नहीं, बल्कि जीवन को आध्यात्मिक दृष्टिकोण से देखने का एक गहरा संदेश है। यह हमें सिखाता है कि भगवान के साथ संबंध स्थापित कर लेने के बाद जीवन के सारे संकट केवल सीखने और अनुभव करने का साधन बन जाते हैं।

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