- – यह गीत कृष्ण भगवान (साँवरिया) की भक्ति और उनकी प्रतीक्षा में एक नानी की करुण पुकार को दर्शाता है।
- – गीत में विवाह के बाद सासर की कठिनाइयों और नानी के दुःख को भावपूर्ण तरीके से प्रस्तुत किया गया है।
- – नानी की आंसुओं और हृदय की वेदना को सांवरिया के आने से शांति और सुख की आशा के रूप में दिखाया गया है।
- – कृष्ण के आगमन से नानी का मन प्रसन्न होता है और जीवन में खुशहाली और प्रेम की वर्षा होती है।
- – गीत में कृष्ण की लीला और उनकी महिमा का वर्णन करते हुए उनकी भक्ति का महत्व बताया गया है।
- – यह गीत प्रेम, भक्ति, और पारिवारिक संबंधों की जटिलताओं को भावनात्मक रूप से उजागर करता है।

साँवरिया आ रे,
ओ नानी आंसुड़ा ढलकाये,
बिलखे हिवड़ो जिव जलाये,
वा तो थारे रही बुलाय,
साँवरिया आ रे।।
तर्ज – ओ बाबुल प्यारे
बाबुल म्हारो निर्धन घणो है,
लागि लगन वाके थारी,
साधा सागे सासरिये में आयो,
कुछ भी ना सोची विचारी,
ना तो रीत रिवाज निभावे,
ना ही सासरिये ने लुभावे,
बस गिरधारी गिरधारी गावे,
साँवरिया आ रे,
ओ नानी आंसुड़ा ढलकाये,
बिलखे हिवड़ो जिव जलाये,
वा तो थे रही बुलाय।।
ल्यावे कठी से हाथी और घोडा,
ल्यावे कठी से सोना चाँदी,
माँ का जाया बीर बीणा कुण,
म्हणे चिर उडासी,
म्हारी सासु ताना मारे,
बेरण नणद पड़ गई लारे,
देवर नारण्यो रूसो ही जाए,
साँवरिया आ रे,
ओ नानी आंसुड़ा ढलकाये,
बिलखे हिवड़ो जिव जलाये,
वा तो थे रही बुलाय।।
सब करमा को दोष सांवरिया,
किंण पर दोष लगाऊं,
आज सांवरिया ना आयो तो,
ज़हर खाय मर जाउँ,
भोलो बाबुल मेरो लजाय,
में तो मरुँ कटारी खाय,
क्या में देर में देर लगाय,
साँवरिया आ रे,
ओ नानी आंसुड़ा ढलकाये,
बिलखे हिवड़ो जिव जलाये,
वा तो थे रही बुलाय।।
करुण पुकार सुनी नानी की,
आया कृष्ण कन्हाई,
राधा रुक्मण हिवड़े लगाए,
मुड़ के नानी बाई,
अम्बर से धन वर्षा आई,
कान्हो चुनडिया ओढाई,
नानी नरसी को मन हर्षाय,
साँवरिया आ रे,
ओ नानी आंसुड़ा ढलकाये,
बिलखे हिवड़ो जिव जलाये,
वा तो थे रही बुलाय।।
ऐसो भरयो है आज मायरो,
कदे भरयो ना जायसी,
निर्मल मन से जो भी बुलायसी,
सांवरियो आ जासी,
म्हारो सांवल सा गिरधारी,
जाकी लीला घणी है न्यारी,
वाकी महिमा ना वरणी जाए हो,
साँवरिया आ रे,
ओ नानी आंसुड़ा ढलकाये,
बिलखे हिवड़ो जिव जलाये,
वा तो थे रही बुलाय।।
