- – यह गीत सतगुरु के प्रति श्रद्धा और भक्ति को व्यक्त करता है, जिसमें सतगुरु को जीवन का मार्गदर्शक और आत्मा का सच्चा ज्ञाता बताया गया है।
- – सतगुरु के बिना आत्मा की सही समझ और इन्द्रियों का नियंत्रण संभव नहीं माना गया है।
- – गुरु की सेवा और उनके द्वारा दिखाए गए मार्ग का पालन करने से जन्मों के पापों से मुक्ति मिलती है।
- – गीत में गुरु के प्रति प्रेम, भक्ति और आनंद की अनुभूति का वर्णन है, जो मन और चित्त को शुद्ध करता है।
- – सतगुरु को दिव्य शक्ति और समाधि का स्रोत बताया गया है, जो जीव को शिव के समान कर देता है।
- – यह भजन गुरु की महिमा और उनके प्रति आस्था को गहराई से प्रस्तुत करता है, जो भक्त को आध्यात्मिक उन्नति की ओर ले जाता है।

सतगुरू देव मनाया हमने,
दोहा – कबीर सबघट आत्मा,
और सिरजी सिरजनहार,
अरे राम कहे सो राम संग,
और रहता भ्रम विचार।
एजी सतगुरु आतम दृष्टि है,
और इन्द्रिय टिके न कोइ,
अरे सतगुरु बिन सूजे नही,
और खरा दुहैला होई।
तो पूरा सतगुरु सेवता,
और प्रगटे आय,
अरे मन सा वांचा कर्मञा,
और मोटे जन्म के पाप।
सतगुरू देव मनाया हमने,
सत गुरू देव मनाया हैं,
सत गुरु देव मनाया हो सैया,
सत गुरू देव मनाया हैं,
अरे उगा भाण भला पीब आया,
आनंद उर में छाया है,
सत गुरू देव मनाया हैं।।
चित का चोक पुराया है गुरु का,
माण्डन माण्ड मण्डाया है,
अरे प्रेम मगन हाई अनुभव जाग्या,
सत का पाट बिछाया है,
सत गुरु देव मनाया हो सैया,
सत गुरू देव मनाया हैं।।
अरे सूरत सुहागन करे आरती,
गुरु गम ढोल बजाया है,
ए गगन मंडल पर सेज पिया की,
सुरता पवन हिलाया है,
सत गुरु देव मनाया हो सैया,
सत गुरू देव मनाया हैं।।
सूरत नूरत मिलत पीव दरसे,
शिव में जीव समाया है,
है त्रिकुटी का रंगमहल में,
सत गुरु फाग समाया है,
सत गुरु देव मनाया हो सैया,
सत गुरू देव मनाया हैं।।
ज्वाला पूरी गुरु समरथ दाता,
केवल पद दर्शाया है,
अरे मोहन पूरी स्वरूप समाधि,
आप में आप लजाया है,
सत गुरु देव मनाया हो सैया,
सत गुरू देव मनाया हैं।।
सतगुरू देव मनाया हमने,
सत गुरू देव मनाया हैं,
सत गुरु देव मनाया हो सैया,
सत गुरू देव मनाया हैं,
अरे उगा भाण भला पीब आया,
आनंद उर में छाया है,
सत गुरू देव मनाया हैं।।
गायक – प्रह्लाद सिंह टिपानिया।
प्रेषक – सुभाष चंद।
9649614471
