सांवरिया तेरे दीदार ने,
दीवाना कर दिया,
मुझे दीवाना कर दिया,
कहीं भी लागे ना जिया,
साँवरिया तेरे दीदार ने,
दीवाना कर दिया ॥साँवली सलोनी छवी,
चित को चुरावे,
मनड़े री डोर खींचे,
जादू सो चलावे,
देखूं जिधर तू ही उधर,
आए है नज़र,
मस्ती में तूने साँवरे,
मस्ताना कर दिया,
साँवरिया तेरे दीदार ने,
दीवाना कर दिया,
मुझे दीवाना कर दिया,
कहीं भी लागे ना जिया,
साँवरिया तेरे दीदार ने,
दीवाना कर दिया ॥
तेरी कृपा से श्याम,
दर ये मिला,
सब कुछ भूल गया,
मैं तेरा हुआ,
दीन दयालू ओ कृपालू,
दिल के सबर,
भक्ति की लौ का सांवरे,
परवाना कर दिया,
साँवरिया तेरे दीदार ने,
दीवाना कर दिया,
मुझे दीवाना कर दिया,
कहीं भी लागे ना जिया,
साँवरिया तेरे दीदार ने,
दीवाना कर दिया ॥
मेरा हाल ए दिल,
ना तुम से छुपा,
कैसे मिलोगे श्याम,
कुछ तो बता,
अंतर्यामी मेरे स्वामी,
राखे सब खबर,
‘विप्लव’ के पीछे साँवरे,
ज़माना कर दिया,
साँवरिया तेरे दीदार ने,
दीवाना कर दिया,
मुझे दीवाना कर दिया,
कहीं भी लागे ना जिया,
साँवरिया तेरे दीदार ने,
दीवाना कर दिया ॥
सांवरिया तेरे दीदार ने,
दीवाना कर दिया,
मुझे दीवाना कर दिया,
कहीं भी लागे ना जिया,
साँवरिया तेरे दीदार ने,
दीवाना कर दिया ॥
सांवरिया तेरे दीदार ने, दीवाना कर दिया – अर्थ एवं भावार्थ
यह भजन श्रीकृष्ण के साथ आध्यात्मिक संबंध और उनके दर्शन (दीदार) के अनुभव की गहन व्याख्या करता है। इसमें भक्त की भावना, प्रेम और आत्मा का पूर्ण समर्पण अभिव्यक्त किया गया है। यहाँ प्रत्येक पंक्ति को गहराई से समझते हैं, इसके प्रतीकात्मक और दार्शनिक अर्थों के साथ।
साँवरिया तेरे दीदार ने, दीवाना कर दिया
आध्यात्मिक दृष्टिकोण:
- साँवरिया: सांवला रूप केवल रंग का प्रतीक नहीं है; यह भगवान की विनम्रता, सहजता और उनके हर किसी को अपनाने की क्षमता का प्रतीक है।
- तेरे दीदार ने: ‘दर्शन’ केवल आँखों से देखना नहीं है, बल्कि यह उस दिव्यता का अनुभव है जो आत्मा के स्तर पर होती है।
- दीवाना कर दिया: भक्त ने अपनी व्यक्तिगत इच्छाओं, अहंकार और सांसारिक सुखों को त्याग दिया है। यह दीवानापन भगवत-प्रेम का उच्चतम स्तर है, जहाँ केवल भगवान की इच्छा ही शेष रह जाती है।
यह पंक्ति उस अवस्था को व्यक्त करती है जब भगवान का दर्शन आत्मा को रूपांतरित कर देता है और उसे केवल उनके प्रति समर्पित कर देता है।
मुझे दीवाना कर दिया, कहीं भी लागे ना जिया
गहरा विश्लेषण:
- मुझे दीवाना कर दिया: यह दीवानापन सांसारिक पागलपन नहीं है, बल्कि एक आत्मिक जागरूकता है, जिसमें भक्त हर सांस में भगवान को अनुभव करता है।
- कहीं भी लागे ना जिया: यह बताता है कि जब आत्मा भगवान से जुड़ जाती है, तो दुनिया के मोह-माया और भौतिक सुख उसकी प्राथमिकता नहीं रह जाते।
यहाँ आत्मा की भगवद-प्राप्ति के बाद की असंतोषजनक स्थिति को दिखाया गया है, जहाँ संसार की हर चीज फीकी लगती है।
साँवली सलोनी छवि, चित को चुरावे
गूढ़ अर्थ:
- साँवली सलोनी छवि: श्रीकृष्ण का सांवला रूप सत्य, सौंदर्य और शाश्वत आकर्षण का प्रतीक है। यह रूप केवल बाह्य सुंदरता नहीं, बल्कि आंतरिक दिव्यता का प्रतीक है।
- चित को चुरावे: ‘चित’ का चुराना भगवान का भक्त को सांसारिक विचारों से मुक्त कर अपनी ओर खींच लेना है।
यह पंक्ति भगवान के रूप की शक्ति को दिखाती है, जो भौतिकता से परे एक गहन आध्यात्मिक आकर्षण है।
मनड़े री डोर खींचे, जादू सो चलावे
आध्यात्मिक अर्थ:
- मनड़े री डोर खींचे: भगवान के प्रति यह खिंचाव केवल प्रेम नहीं है; यह आत्मा का अपने स्रोत की ओर लौटने का स्वाभाविक झुकाव है।
- जादू सो चलावे: यह जादू भगवान की कृपा और उनके मोहक स्वभाव का परिणाम है, जो आत्मा को अपने दिव्य प्रेम में बांध लेता है।
यहाँ भगवान की लीला और उनकी कृपा की बात की गई है, जिससे भक्त उनके प्रेम में बंध जाता है।
देखूं जिधर तू ही उधर, आए है नज़र
गहनता का विश्लेषण:
- देखूं जिधर तू ही उधर: भक्त का यह अनुभव अद्वैत (सभी में ईश्वर का दर्शन) का प्रतीक है।
- आए है नज़र: यह संकेत देता है कि भक्त ने स्वयं को भगवान की उपस्थिति में पूरी तरह डुबो दिया है। अब हर वस्तु और घटना में उसे भगवान ही दिखते हैं।
यह पंक्ति अद्वैत वेदांत की अवधारणा को दर्शाती है, जहाँ हर जगह भगवान का अनुभव होता है।
मस्ती में तूने साँवरे, मस्ताना कर दिया
मर्मस्पर्शी विवेचना:
- मस्ती में: यह वह आनंद है जो भक्ति और भगवद-संयोग से प्राप्त होता है।
- मस्ताना कर दिया: भक्त की यह मस्ती सांसारिक उन्माद नहीं, बल्कि ब्रह्मानंद (दिव्य आनंद) है।
यहाँ भक्ति के उस स्तर का वर्णन है, जहाँ भगवान का प्रेम आत्मा को आनंदमय कर देता है।
तेरी कृपा से श्याम, दर ये मिला
कृपा और दार्शनिकता:
- तेरी कृपा से श्याम: भगवान की कृपा के बिना भक्ति का मार्ग कठिन है। यह पंक्ति भगवान की कृपा के महत्व को रेखांकित करती है।
- दर ये मिला: भक्त को भगवान का चरण-संरक्षण प्राप्त होना मुक्ति और परम लक्ष्य को प्राप्त करने जैसा है।
यह बताता है कि भक्ति और भगवान का अनुभव उनकी कृपा से ही संभव है, जो हर भक्त की यात्रा को सफल बनाता है।
सब कुछ भूल गया, मैं तेरा हुआ
गहरे अर्थ:
- सब कुछ भूल गया: यह सांसारिक इच्छाओं, अहंकार और मोह-माया से मुक्ति का प्रतीक है।
- मैं तेरा हुआ: भक्त की पूर्ण आत्मसमर्पण की अवस्था है। अब वह केवल भगवान का है और कोई दूसरी पहचान नहीं रखता।
यह आत्मा की पूर्ण मुक्ति और भगवद्-अभिनिवेश का चित्रण है।
दीन दयालू ओ कृपालू, दिल के सबर
करूणा का प्रतीक:
- दीन दयालू: भगवान की करुणा और उनकी दया उन लोगों को बचाने में प्रकट होती है जो हृदय से उनके प्रति समर्पित हैं।
- दिल के सबर: भक्त के हृदय की हर पीड़ा का अंत भगवान की उपस्थिति में होता है।
यह भगवान की उस शक्ति का वर्णन करता है, जो हर दुःख को समाप्त कर देती है।
भक्ति की लौ का सांवरे, परवाना कर दिया
लौ और परवाने का आध्यात्मिक प्रतीक:
- भक्ति की लौ: भक्त के हृदय में जलने वाली भक्ति की अग्नि।
- परवाना कर दिया: भक्त इस अग्नि में स्वयं को स्वाहा करने के लिए तत्पर है। यह त्याग और समर्पण का चरम है।
यहाँ भक्ति के सर्वोच्च आदर्श का उल्लेख है, जिसमें भक्त अपने अस्तित्व को भगवान के लिए अर्पित कर देता है।
समापन: भजन की आध्यात्मिक गहराई
यह भजन न केवल भगवान के प्रति प्रेम की अभिव्यक्ति है, बल्कि भक्ति के उन विभिन्न स्तरों की व्याख्या करता है जहाँ भक्त अपनी पहचान और स्वतंत्रता को खोकर पूर्ण रूप से भगवान में विलीन हो जाता है। सांवरिया तेरे दीदार ने केवल एक भजन नहीं है, यह आत्मा और परमात्मा के मिलन की दिव्य यात्रा का गान है।