- – गीत “सांवरिया तुझसा नहीं” में प्रेम और भक्ति की भावनाओं को खूबसूरती से व्यक्त किया गया है।
- – गीत में सांवरिया (श्रीकृष्ण) की तुलना किसी और से नहीं की जा सकती, उनकी महत्ता को अम्बर के नीचे सबसे अलग बताया गया है।
- – प्रेमी की आँखों में सांवरिया की छवि हमेशा बनी रहती है, जो उसके जीवन का केंद्र है।
- – खाटू की नगरी और बाबा के दर्शन का उल्लेख कर भक्ति की गहराई को दर्शाया गया है।
- – श्याम रंगीले सांवरिया के प्रति गहरा प्रेम और समर्पण गीत की मुख्य भावना है।
- – गीत में प्रेमी की सांवरिया के प्रति अटूट निष्ठा और जीवन-मरण का भाव व्यक्त किया गया है।
सांवरिया तुझसा नहीं,
इस अम्बर के नीचे,
इसलिए तो डोल रही है,
दुनिया पीछे पीछे,
सांवरिया तुझसा नहीं,
इस अम्बर के नीचे।।
तर्ज – दीवाना मुझसा नहीं।
पाके तुझे लगता मुझे,
कोई मिला है अपना,
कभी कभी तो लगता है,
देख रहा हूँ सपना,
हर पल तेरी छवि निहारूँ,
आँखों को मैं मीचे मीचे,
साँवरिया तुझसा नही,
इस अम्बर के नीचे,
इसलिए तो डोल रही है,
दुनिया पीछे पीछे।।
धरती की सब उपमा,
तेरे आगे फीकी लगती,
स्वर्ग भी फीका लागे जब,
खाटू की नगरी सजती,
दर्शन तेरे करने बाबा,
आते है सब खीचे खीचे,
साँवरिया तुझसा नहीं,
इस अम्बर के नीचे,
इसलिए तो डोल रही है,
दुनिया पीछे पीछे।।
श्याम रंगीला बड़ा छबीला,
दिल में बस गया मेरे,
‘श्याम’ कहें जन्मों जन्म तक,
हो गये हम तो तेरे,
भूल ना जाना मुझको वरना,
मर जाऊंगा जीते जीते,
साँवरिया तुझसा नहीं,
इस अम्बर के नीचे,
इसलिए तो डोल रही है,
दुनिया पीछे पीछे।।
सांवरिया तुझसा नहीं,
इस अम्बर के नीचे,
इसलिए तो डोल रही है,
दुनिया पीछे पीछे,
सांवरिया तुझसा नहीं,
इस अम्बर के नीचे।।
Singer : Ravi Beriwal
https://youtu.be/dwjO5oQXhx8