सीता कल्याण वैभोगमे in Hindi/Sanskrit
सीता कल्याण वैभोगमे
राम कल्याण वैभोगमे
पवनज स्तुति पात्र पावन चरित्र
रवि सोम वर नेत्र रमणीय गात्र
भक्त जन परिपाल भरित शर जाल
भुक्ति मुक्तिद लील भू-देव पाल
पाम(रा)सुर भीम परिपूर्ण काम
श्याम जग(द)भिराम साकेत धाम
सर्व लो(का)धार सम(रै)क वीर
गर्व मानव दूर कन(का)ग धीर
निग(मा)गम विहार निरुपम शरीर
नग ध(रा)घ विदार नत लो(का)धार
परमेश नुत गीत भव जलधि पोत
तरणि कुल सञ्जात त्यागराज नुत
Seetha Kalyana Vaibhogame in English
Sita Kalyana Vaibhogame
Rama Kalyana Vaibhogame
Pavanaja Stuti Patra Pavana Charitra
Ravi Soma Vara Netra Ramaniya Gatra
Bhakta Jana Paripala Bharita Shara Jaala
Bhukti Mukti Da Leela Bhu-Deva Paala
Paama(Ra)Sura Bhima Paripoorna Kaama
Shyaama Jaga(Da)Bhirama Saketa Dhaama
Sarva Lo(Kaa)Dhaara Sama(Rai)Ka Veera
Garva Maana Duura Kana(Kaa)Ga Dheera
Niga(Maa)Gama Vihaara Nirupama Shareera
Naga Dha(Raa)Gha Vidaara Nata Lo(Kaa)Dhaara
Paramesha Nuta Geeta Bhava Jaladhi Pota
Tarani Kula Sanjata Tyagaraja Nuta
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सीता कल्याण वैभोगमे का अर्थ
अर्थ: यह भजन भगवान राम और सीता के अद्भुत कल्याण और विवाह के वैभव का वर्णन करता है। इसमें भगवान राम के दिव्य गुण, उनकी स्तुति और उनके महान कार्यों का वर्णन किया गया है। आइए, इस भजन के प्रत्येक श्लोक का विस्तृत अर्थ हिंदी में समझते हैं।
राम और सीता का दिव्य मिलन
सीता कल्याण वैभोगमे
अर्थ: सीता जी के कल्याण और सुख-वैभव की स्तुति। यह पंक्ति उनके जीवन के परम आनंद और वैभव का प्रतीक है, जो भगवान राम के साथ उनके विवाह के समय दिखता है।
राम कल्याण वैभोगमे
अर्थ: भगवान राम के कल्याण और विवाह के शुभ अवसर की स्तुति। राम के जीवन में यह एक अत्यंत पावन और दिव्य क्षण है, जिसमें उनकी प्रसन्नता और जीवन का सबसे महत्वपूर्ण क्षण प्रदर्शित होता है।
पवन पुत्र हनुमान के अद्वितीय गुण
पवनज स्तुति पात्र पावन चरित्र
अर्थ: पवन-पुत्र (हनुमान जी) स्तुति के योग्य और पवित्र चरित्र के धनी हैं। हनुमान जी का चरित्र भगवान राम के प्रति उनकी भक्ति, सेवा और समर्पण का प्रतीक है।
रवि सोम वर नेत्र रमणीय गात्र
अर्थ: हनुमान जी के नेत्र सूर्य और चंद्रमा के समान हैं और उनका शरीर अत्यंत रमणीय है। यह उनके सौम्य और दिव्य स्वरूप का वर्णन करता है।
भक्तों के रक्षक और मोक्षदाता
भक्त जन परिपाल भरित शर जाल
अर्थ: भगवान राम उन भक्तों की रक्षा करते हैं जो उनके शरण में आते हैं। उनके पास भरे हुए बाणों का जाल है जो उनके शत्रुओं का संहार करने में सक्षम है।
भुक्ति मुक्तिद लील भू-देव पाल
अर्थ: भगवान राम भक्तों को भौतिक सुख (भुक्ति) और मोक्ष (मुक्ति) दोनों प्रदान करते हैं। वे इस धरती के देवताओं के रक्षक हैं और अपनी लीलाओं के माध्यम से भक्तों का कल्याण करते हैं।
राम का पराक्रम और शत्रु संहार
पाम(रा)सुर भीम परिपूर्ण काम
अर्थ: राम अत्यंत पराक्रमी हैं और राक्षसों का संहार करने वाले हैं। वे अपने कर्म में पूर्ण हैं और उनके शत्रुओं को भयभीत करने में सक्षम हैं।
श्याम जग(द)भिराम साकेत धाम
अर्थ: भगवान राम का श्याम वर्ण और जगत में आनंद उत्पन्न करने वाला स्वरूप है। उनका निवास स्थान साकेत है, जो परमधाम माना गया है।
सम्पूर्ण लोकों का आधार और युद्ध वीरता
सर्व लो(का)धार सम(रै)क वीर
अर्थ: भगवान राम सम्पूर्ण लोकों का आधार हैं और युद्ध में वीरता का प्रतीक हैं। वे केवल इस संसार के नहीं, अपितु सभी लोकों के रक्षक और पालनकर्ता हैं।
गर्व मानव दूर कन(का)ग धीर
अर्थ: भगवान राम के सामने अहंकार का कोई स्थान नहीं है। वे विनम्रता और धैर्य का प्रतीक हैं, और वे मानव के गर्व को दूर करते हैं।
ज्ञान के मार्गदर्शक और अद्वितीय स्वरूप
निग(मा)गम विहार निरुपम शरीर
अर्थ: भगवान राम वेद और शास्त्रों के मर्मज्ञ हैं और उनका शरीर अद्वितीय और अतुलनीय है। उनका जीवन और उनका स्वरूप किसी भी अन्य से परे है।
नग ध(रा)घ विदार नत लो(का)धार
अर्थ: भगवान राम पर्वतों को विदीर्ण करने वाले हैं और सम्पूर्ण लोकों का आधार हैं। यह उनके अद्भुत शक्ति और प्रभाव का प्रतीक है।
परमेश्वर द्वारा स्तुति और संसार को पार कराने वाले
परमेश नुत गीत भव जलधि पोत
अर्थ: परमेश्वर द्वारा भी स्तुति की जाने योग्य राम का गुणगान संसार सागर से पार लगाने वाली नौका के समान है। उनकी भक्ति व्यक्ति को इस संसार के बंधनों से मुक्त कराती है।
तरणि कुल सञ्जात त्यागराज नुत
अर्थ: सूर्यवंश में उत्पन्न राम त्यागराज द्वारा नमन योग्य हैं। त्यागराज जैसे संत भी उनकी महिमा का गुणगान करते हैं।
इस प्रकार, इस भजन में भगवान राम के गुण, उनके दिव्य स्वरूप, उनके भक्तों के प्रति करुणा, और उनकी महानता का विस्तारपूर्वक वर्णन किया गया है।