- – यह गीत “शाम से पहले श्याम ही आए” एक भक्ति और समर्पण की भावना को दर्शाता है, जिसमें श्याम (भगवान कृष्ण) की शरण में आने का वर्णन है।
- – गीत में व्यक्ति अपने दुखों और संघर्षों के बावजूद श्याम की शरण में जाकर सभी कष्टों से मुक्ति पाने की बात करता है।
- – यह गीत विश्वास और भक्ति की ताकत को उजागर करता है, जहां दुनिया की कोई भी चीज़ काम नहीं आती, केवल श्याम की उपस्थिति ही समाधान है।
- – गीत में कर्म और धर्म की महत्ता भी बताई गई है, जिसमें कहा गया है कि श्याम ने अपने भक्त की लाज बचाई और उसे संभाला।
- – समग्र रूप से यह गीत प्रेम, भक्ति, और आध्यात्मिक शरण की अनुभूति कराता है, जो मन को शांति और संतोष प्रदान करता है।
शाम से पहले श्याम ही आए,
दुनिया वाले काम ना आए,
शाम से पहले श्याम ही आए।।
तर्ज – दो दिल टूटे दो दिल हारे।
फिरता रहा था मै तो,
गलियों में मारा मारा सांवरे,
अपने से खायी ठोकर,
कुछ ना मिला था मुझको सांवरे,
तेरी शरण में आया,
तेरी शरण में आया,
सबकुछ लुटा के,
शाम से पहले,
श्याम ही आए।।
सुनकर के रुतबा तेरा,
दर पे तुम्हारे आया सांवरे,
असुवन की धारा लेके,
आँखों में आया मै तो सांवरे,
कुछ भी ना कहने पाया,
कुछ भी ना कहने पाया,
दर पे तेरे आके,
शाम से पहले,
श्याम ही आए।।
धर्मी तो तरते देखे,
कर्मो के बल पे अपने सांवरे,
मुझसा ना अधमी दूजा,
श्याम जगत में कोई सांवरे,
फिर भी बचाई तूने,
फिर भी बचाई तूने,
लाज मेरी आके,
शाम से पहले,
श्याम ही आए।।
शाम से पहले श्याम ही आए,
दुनिया वाले काम ना आए,
शाम से पहले श्याम ही आए।।
https://youtu.be/nVd2WOU4Nl4
