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- – यह भजन भगवान शिव (शंकर) और माता पार्वती की भक्ति में लिखा गया है, जिसमें भक्त अपनी श्रद्धा और समर्पण व्यक्त करता है।
- – भजन में भक्त अपने पापों और दोषों के लिए क्षमा मांगता है और माता पार्वती से सहायता और दया की प्रार्थना करता है।
- – भक्त अपने दुखों और जीवन की कठिनाइयों का उल्लेख करता है और माता पार्वती से जीवन में सहारा और मार्गदर्शन की कामना करता है।
- – गीत में भगवान शिव को जगत के पिता और माता पार्वती को माता के रूप में सम्मानित किया गया है।
- – भजन की भाषा सरल और भावपूर्ण है, जो भक्त के मन की गहराईयों को दर्शाती है।

शंकर मेरे जगत पिता है,
पारवती मेरी माता,
पारवती मेरी माता।।
तर्ज – मेरे नैना सावन भादो।
दर तेरे आता हूँ,
आरती गाता हूँ,
चरणों में तेरे,
धोक लगाऊं,
दर्श तेरा मैं चाहता,
क्यों ना तरस तुझे आता,
तुम बिन मेरा कौन सहारा,
पारवती मेरी माता,
पारवती मेरी माता।।
अवगुण चित ना धरो,
सिर पर हाथ धरो,
मैं हूँ पापी और दुष्कर्मी,
खोल ना मेरा खाता,
सुनले जग के विधाता,
मेरी नैया डगमग डोले,
क्यों नहीं पार लगाता,
पारवती मेरी माता,
पारवती मेरी माता।।
धीर बंधाओ ना,
हाथ फिराओ ना,
नैनो से बहे जल की धारा,
क्यों ना तरस तुझे आता,
मुझसे नहीं क्या नाता,
किस दर जाऊं किसको सुनाऊँ,
दुःख से भरी ये गाथा,
Bhajan Diary Lyrics,
पारवती मेरी माता।।
शंकर मेरे जगत पिता है,
पारवती मेरी माता,
पारवती मेरी माता।।
Singer – Vijay Soni
अस्वीकरण (Disclaimer) : नुस्खे, योग, धर्म, ज्योतिष आदि विषयों पर HinduismFAQ में प्रकाशित/प्रसारित वीडियो, आलेख एवं समाचार सिर्फ आपकी जानकारी के लिए हैं। 'HinduismFAQ' इसकी कोई ज़िम्मेदारी नहीं लेती है।
