- – शान्तिनाथजी और जालौरी पीरजी भक्तों को शराब से बचने और नशे की बुरी आदत छोड़ने की सलाह देते हैं।
- – शराब पीने से परिवार में दुख, कलह और सामाजिक कलंक उत्पन्न होता है, जिससे रिश्ते टूटते हैं और माता-पिता, बहन-बेटियां दुखी होती हैं।
- – शराब से मर्यादा और सम्मान खत्म हो जाता है, जिससे व्यक्ति का स्वाभिमान गिरता है और वह गिरावट की ओर बढ़ता है।
- – गुरु और सतगुरु की शिक्षा के अनुसार, शराब से दूर रहना ही सच्चा सुख और समृद्धि का मार्ग है।
- – भजन में यह संदेश दिया गया है कि शराब छोड़कर जीवन में शांति, धन-लक्ष्मी और सामाजिक सम्मान प्राप्त किया जा सकता है।
- – मदनसिंह जोरावत राठौड़ बागरा द्वारा रचित यह भजन भक्तों को जागरूक करने और सही मार्ग पर चलने का प्रेरक संदेश देता है।

शान्तिनाथजी कह गये बीरा,
सब भक्ता ने कईजो रे,
जालौरी पीरजी कह गये बीरा,
सब भक्ता ने कईजो रे,
अरे नाथजी री मंशा भईया,
पीरजी मंशा भईया थे,
सुण लिजो रे सुणजो भक्त गणा,
नाथजी थाने यु समझावे रे,
सुणजो भक्त गणा।।
नसा पता री आदत बुरी,
मत मारो कालजीये छुरी,
कंचन वर्णि काया रे क्यु,
कलंक लगावो रे,
सुणजो भक्त गणा,
पीरजी थाने यु समझावे रे,
सुणजो भक्त गणा,
सतगुरुजी थाने यु समझावे रे,
सुणजो भक्त गणा।।
टाबर टुबर सगला ही रोवे,
पुरखो री जागीरी खोवे,
बहन बेटी थारी रोती जावे,
मात पिता गणो दुख पावे,
क्यु आग लगावे रे,
सुणजो भक्त गणा,
नाथजी थाने यु समझावे रे,
सुणजो भक्त गणा,
पीरजी थाने यु समझावे रे,
सुणजो भक्त गणा,
सतगुरुजी थाने यु समझावे रे,
सुणजो भक्त गणा।।
दारु सु मरीयादा जावे,
दुख दालीदर घर मे आवे,
भाई सेण और भला मानस रे,
निजरा सु भी थु गिर जावे,
कालो मुडो है इण दारु रो,
मत हाथ लगावो रे,
सुणजो भक्त गणा,
नाथजी थाने यु समझावे रे,
सुणजो भक्त गणा,
पीरजी थाने यु समझावे रे,,
सुणजो भक्त गणा,
सतगुरुजी थाने यु समझावे रे,
सुणजो भक्त गणा।।
बेटी थारी हुई सयाणी,
कद बनसी वा दुल्हन रानी,
कोडी-कोडी माया जोडी,
वा तो थे दारु मे तोडी,
इण दारु रो पापो काट दे
पी परणावो रे,
सुणजो भक्त गणा,
नाथजी थाने यु समझावे रे,
सुणजो भक्त गणा,
पीरजी थाने यु समझावे रे,
सुणजो भक्त गणा,
शान्तिनाथजी गुरु समझावे,
जो समझे परम सुख पावे,,
अन धन लक्ष्मी घर मे आवे,
मान गणेरो जुगत मे पीवे,
लिखे जोरावर गावे,
जोगेन्द्र थे सुण लिजो रे,
सुणजो भक्त गणा,
नाथजी थाने यु समझावे रे,
सुणजो भक्त गणा,
सतगुरुजी थाने यु समझावे रे,
सुणजो भक्त गणा।।
शान्तिनाथजी कह गये बीरा,
सब भक्ता ने कईजो रे,
जालौरी पीरजी कह गये बीरा,
सब भक्ता ने कईजो रे,
अरे नाथजी री मंशा भईया,
पीरजी मंशा भईया थे,
सुण लिजो रे सुणजो भक्त गणा,
नाथजी थाने यु समझावे रे,
सुणजो भक्त गणा।।
भजन प्रेषक –
मदनसिंह जोरावत राठौंड़ बागरा
फ़ोन – ६३७५४२९७२७
