मुख्य बिंदु
- – यह गीत भगवान शिव की महिमा और उनके प्रति श्रद्धा को दर्शाता है, जहाँ पूरी दुनिया उनके सामने सिर झुकाती है।
- – गंगा नदी की निर्मल धारा और बाबा भूतनाथ के चरणों का वर्णन किया गया है, जो श्रद्धालुओं के लिए पवित्र स्थान हैं।
- – नूर महिपाल जी द्वारा सजाए गए गुरुवर के आशियाँ का उल्लेख है, जो प्रेम और भक्ति से भरा है।
- – भगवान शिव को भूतों के नाथ और मरघट के वासी के रूप में प्रस्तुत किया गया है, जो दीन-दुखियों के सहारा हैं।
- – गीत में शिव की कृपा से जीवन में सुख-समृद्धि और आशीर्वाद पाने की बात कही गई है।
- – समग्र रूप से यह भक्ति गीत शिव की महानता, उनकी शक्ति और उनके प्रति समर्पण को उजागर करता है।

भजन के बोल
सर को झुका आके,
सर को झुका,
यहाँ झुकता जहान आके सारा,
पल में ये तेरी भर देगा झोलियाँ,
बड़ा साँचा है शिव का द्वारा,
पल में ये तेरी भर देगा झोलियाँ,
बड़ा साँचा हैं शिव का द्वारा ॥
गंगा की निर्मल धारा,
चौखट पे चूमती,
बाबा भूतनाथ के वो,
चरणों को चूमती,
चरणों को चूमती,
बैठे सामने निहारे मैया तारा,
पल में ये तेरी भर देगा झोलियाँ,
बड़ा साँचा हैं शिव का द्वारा ॥
नूर महिपाल जी का,
इसमें समाया है,
गुरुवर ने आशियाँ ये,
प्यार से सजाया है,
प्यार से सजाया है,
जीवन चरणों में गुजारा,
पल में ये तेरी भर देगा झोलियाँ,
बड़ा साँचा हैं शिव का द्वारा ॥
मरघट के वासी है ये,
भूतों के नाथ है,
‘हर्ष’ कोई ना जिनका,
उनके ये साथ है,
उनके ये साथ है,
दीन दुखियों का यही सहारा,
दीन दुखियों का यही सहारा,
पल में ये तेरी भर देगा झोलियाँ,
बड़ा साँचा हैं शिव का द्वारा ॥
सर को झुका आके,
सर को झुका,
यहाँ झुकता जहान आके सारा,
पल में ये तेरी भर देगा झोलियाँ,
बड़ा साँचा है शिव का द्वारा,
पल में ये तेरी भर देगा झोलियाँ,
बड़ा साँचा हैं शिव का द्वारा ॥
